आज के इस Post में मैं स्किनर का सिद्धांत ( Skinner Ka Siddhant ) के बारे में जानकारी देने जा रही हूँ। स्किनर का सिद्धांत को मैंने बोल – चाल की भाषा में लिखा है। इसे समझने में आपको काफी सुविधा होगी। तो चलिए Start करते हैं।
स्किनर का सिद्धांत (Skinner Ka Siddhant) : –
स्किनर का मानना था कि जब भी कार्य में सफलता प्राप्त होती है तो संतुष्टि मिलती है। यह संतुष्टि क्रिया को बल प्रदान करता है। यह व्यवहार सीखने में विशेष रूप से सहायक होता है। स्किनर ने क्रिया प्रसूत अनुबंधन सिद्धांत का प्रतिपादन किया था।
स्किनर का क्रिया प्रसूत अनुबंधन सिद्धांत : –
क्रिया प्रसूत अनुबंधन सिद्धांत का प्रतिपादन बी. एफ. स्किनर ने किया था। स्किनर सबसे ज्यादा समय अमेरिका के हारवर्ड विश्वविद्यालय में बिताया था। स्किनर ने चूहे पर प्रयोग पहली बार 1930 में तथा कबूतर पर प्रयोग 1943 में किया था।
स्किनर की पुस्तक का नाम ”टेक्नोलॉजी ऑफ़ टीचिंग (Technology of Teaching)” है। माइक्रो टीचिंग (Micro Teaching) तथा अभिक्रमित अनुदेशन (Programmed Instruction) शब्द का प्रयोग स्किनर ने दिया था।
क्रिया प्रसूत अनुबंधन सिद्धांत के अन्य नाम : –
क्रिया प्रसूत अनुबंधन सिद्धांत के अन्य नाम इस प्रकार है : –
R-Type, R-S Theory, कार्यात्मक प्रतिबद्धता का सिद्धांत, सक्रिय अनुबंधन का सिद्धांत, अभिक्रमित अनुदेशन और नैमित्तिक अनुबंधन का सिद्धांत।
R-S Theory में R का मतलब Reinforcement होता है। इसका अर्थ पुनर्बलन होता है। और S का मतलब Stimulus होता है।
स्किनर का चूहे पर प्रयोग ( Skinner’s Experiment on Rat ) : –
स्किनर का बात किया जाए तो इसने सफेद चूहे पर अधिगम के प्रयोग किए। स्किनर ने प्रयोग के लिए एक बॉक्स बनवाया था। स्किनर ने ऐसा बॉक्स बनवाया जो घुमावदार मार्ग की तरह हो जिसमें चूहा दौड़ सकता हो।
इस बॉक्स में ऐसी व्यवस्था की गई कि लीवर के दबाने पर भोजन प्राप्त हो सके। अर्थात लीवर एक तरह का बटन का काम करता है। जब चूहा बॉक्स के विभिन्न मार्गो में दौड़ लगाता है तो उसकी पैर अचानक लीवर पर पड़ता और लीवर दब जाता है। लीवर के अचानक दबने से भोजन की प्राप्ति होती है।
स्किनर का कबूतर पर प्रयोग ( Skinner’s Experiment on Pigeon ) : –
स्किनर ने कबूतर पर प्रयोग के लिए एक ऐसे बॉक्स का प्रयोग किया जिसमें कुंजी को दबाने से दाना प्राप्त हो सके। कबूतर जब इस कुंजी पर चोंच मारता है तो कुंजी के दबने से दाने की प्राप्ति होती थी।
वाइगोत्स्की का सिद्धांत समझने के लिए नीचे Click करें।
Vygotsky Ka Siddhant ( वाइगोत्स्की का सिद्धांत )
पुनबर्लन का सिद्धांत किसने दिया : –
पुनबर्लन का सिद्धांत की बात किया जाए तो इस सिद्धांत का जनक क्लार्क एल. हल थे। क्लार्क एल. हल को सी. एल. हल भी कहा जाता है। लेकिन पुनबर्लन का सिद्धांत स्किनर ने दिया था।
स्किनर के अनुसार भाषा कैसे सीखी जाती है ?
स्किनर का मानना था कि बच्चा भाषा अपने माता-पिता या आसपास के व्यक्तियों से सीखता है। बच्चा को भाषा सीखने के लिए उसे बाहरी वातावरण की जरुरत होती है।
स्किनर के सीखने का सिद्धांत : –
स्किनर ने चूहों तथा कबूतरों पर प्रयोग किया था। उसने चूहों और कबूतरों को एक विशेष व्यवहार सीखने के लिए उनकी अनुक्रियों के पश्चात उन्हें एक विशेष पुनर्बलन देकर उन्हें निश्चित व्यवहार सीखने में सफलता मिली।
उन्होंने प्रयोग के लिए एक विशेष बॉक्स का निर्माण किया जिसे ‘क्रियाप्रसूत अनुबंधन कक्ष’ का नाम दिया। लेकिन बाद में स्किनर के शिष्यों ने इसे स्किनर के सम्मान में ‘स्किनर बॉक्स’ नाम दिया।
क्रिया प्रस्तुत सिद्धांत की विशेषताएं : –
क्रिया प्रसूत सिद्धांत की विशेषताएं इस प्रकार है : – क्रिया प्रसूत सिद्धांत पुनर्बलन में आवश्यक तत्त्व होता है। यह सिद्धांत मंदबुद्धि बालको के अधिगम के लिए बहुत ही उपयोगी होता है। क्रिया प्रस्तुत सिद्धांत सीखने की क्रिया में अभ्यास पर अधिक बल देता है।
अनुकूलन का वर्णन करें : –
अनुकूलन की बात किया जाए तो अनुकूलन वातावरण में सरलता पूर्वक जीवन व्यतीत करने तथा वंश के वृद्धि के लिए आवश्यक होता है। यह सभी जीवों के शरीर में रचनात्मक एवं क्रियात्मक परिवर्तन स्थायी रूप से उत्पन्न करता है।
Ques – चूहे पर प्रयोग किसने किया ?
Ans – चूहे पर प्रयोग स्किनर ने 1930 में किया था।
Conclusion : – मुझे उम्मीद है कि ऊपर दिए गए स्किनर का सिद्धांत (Skinner Ka Siddhant ) को आपने अच्छी तरह से पढ़ लिया है। इस सिद्धांत को पढ़ने के बाद आपको यह Topic अच्छे से समझ में आ गया होगा।