आगमन निगमन विधि | Aagman Nigman Vidhi

आज हमलोग पढ़ने वाले हैं आगमन निगमन विधि (Aagman Nigman Vidhi ) के बारे में। अगर इस टॉपिक में मैंने जो भी जानकारी दिया है, उसे आप अच्छे से समझ लेते हैं तो किसी भी Exam में इस टॉपिक से एक भी Question गलत नहीं होगा।

 

मैंने इस टॉपिक को बोलचाल की भाषा में समझाने का प्रयास किया है। मुझे पता है कि किताबी भाषा आपको कठिन लगा है तभी आप इंटरनेट पर इस टॉपिक को खोजते हुए यहाँ पहुंचे हैं।

 

आगमन विधि ( Inductive Method ) : – 

आगमन विधि में छात्रों को पहले नियम या किसी समस्या के सिद्धांत को उदाहरण से समझाया जाता है। आगमन विधि में प्रत्यक्ष अनुभवों, उदाहरणों तथा प्रयोगों का अध्ययन करके नियम निकाले जाते हैं और तथ्यों के आधार पर उचित सूझ बुझ से निर्णय लिया जाता है।  

आगमन विधि में उदाहरण को पहले दिया जाता है और बाद में नियम को बताया जाता है। 

 

आगमन प्रणाली से आप क्या समझते हैं ?

यह शिक्षण की वैसी प्रणाली है जिसमें  हम उदाहरण से सिद्धांत की और बढ़ते हैं। इस शिक्षण विधि में हमलोग 3 शिक्षण विधि का प्रयोग करते हैं जिसमें से एक है – मूर्त से अमूर्त की ओर जाना।

 

आगमन विधि के तीन सूत्र इस प्रकार हैं : –

1. ज्ञात से अज्ञात की ओर 
2. विशिष्ट से सामान्य की ओर 
3. स्थूल से सूक्ष्म की ओर 

ये तीनों आगमन विधि के महत्वपूर्ण सूत्र हैं। 

 

आगमन विधि और उसकी विशेषताएं

 

आगमन विधि की विशेषताएं इस प्रकार हैं : –

1. आगमन विधि वैज्ञानिक विधि है। इसमें अर्जित ज्ञान प्रत्यक्ष तथ्यों पर आधारित होता है। वैज्ञानिक विधि ऐसा विधि है जिससे बालकों में नवीन ज्ञान को खोजने का मौका उपलब्ध कराता है।

 

2. आगमन विधि के द्वारा बालक को स्वयं कार्य करने की प्रेरणा होती है। आगमन विधि के माध्यम से बच्चों में खुद से कार्य करने की प्रेरणा मिलती है। 

 

3. आगमन विधि छोटी कक्षा के लिए होती है। इसमें बच्चों को समझाने के लिए पहले एक या दो उदाहरण दिया जाता है फिर उसे नियम के बारे में बताया जाता है। जिससे बच्चों को समझने में कोई कठिनाई नहीं होती है।  

 

4. इस विधि से ज्ञान प्राप्त करने में छात्र में आत्म निर्भरता तथा आत्म विश्वास बढ़ता है।

 

5. इस विधि द्वारा छात्र स्वयं परिश्रम करके नविन नियमों की खोज करता है इसलिए यह ज्ञान स्थाई होता है।

 

आगमन विधि के चरण :-

आगमन विधि के तहत 4 चरण का प्रयोग किया गया है। जो इस प्रकार हैं :-
1. उदाहरण – एक ही प्रकार के विभिन्न उदाहरणों का चयन कर उन छात्रों के समझ प्रस्तुत करना।

2. निरीक्षण – सभी प्रकार के उदाहरणों का अवलोकन कर तुलना करना तथा समानता देखकर परिणाम तक पहुँचाना।

3. नियमितीकरण – ऐसे सिद्धांतों का निर्माण करना चाहिए जिससे अपने अभीष्ट का सत्यापन हो सके।

4. परिक्षण – कुछ अन्य उदाहरणों द्वारा अपने सिद्धांतों की पुष्टि करना।

 

वाइगोत्स्की का सिद्धांत समझने के लिए नीचे Click करें।

Vygotsky Ka Siddhant ( वाइगोत्स्की का सिद्धांत )

 

आगमन विधि का दोष इस प्रकार हैं : –

आगमन विधि से सीखने में ज्यादा समय लगता है। क्योंकि इस विधि में पहले उदाहरण दिया जाता है और बाद में नियम बताया जाता है। इसलिए आगमन विधि को सीखने में ज्यादा समय लगता है। 

 

आगमन विधि से सीखने में पाठ्यक्रम पूरा नहीं हो पाता है। क्योंकि इस विधि से सीखने में ज्यादा समय लगता है तथा इसमें उदाहरण पहले दिया जाता है। और बाद में नियम को बताया जाता है इसलिए इस विधि से सीखने में पाठ्यक्रम पूरा नहीं हो पाता है।  

 

आगमन विधि में ज्ञान धीमी गति से होता है। क्योंकि  इसमें ज्यादा समय लगता है, syllabus भी पूरा नहीं हो पाता तो स्वभाविक है कि ज्ञान धीमी गति से प्राप्त होगा। 

 

निगमन विधि ( Deductive Method ) : –

निगमन विधि, आगमन विधि के बिल्कुल उल्टा होता है। निगमन विधि में छात्रों को पहले नियम को अच्छी तरह से बता दिया जाता है बाद में उदाहरण दिया जाता है। जिससे बच्चों को समझने में काफी सुविधा होती है। और बच्चे इस विधि से बहुत अच्छी तरह से सीखते हैं। शिक्षक बच्चों को पढ़ाते समय इस विधि का प्रयोग सबसे ज्यादा करते हैं।

 

निगमन विधि के शिक्षण के 3 सूत्र इस प्रकार है : – 

1. अज्ञात से ज्ञात की ओर 
2. सामान्य से विशिष्ट की ओर 
3. सूक्ष्म से स्थूल की ओर 

 

आगमन और निगमन विधि के उदाहरण

 

निगमन विधि की विशेषता इस प्रकार है : – 

1. निगमन विधि में समय की बचत होती है और अधिक प्रश्न हल करवाये जा सकते हैं। 
2. निगमन विधि में बार-बार अभ्यास से लाभ होता है। 
3. अध्यापक निगमन विधि का प्रयोग ज्यादा करते हैं। 

 

निगमन विधि का दोष इस प्रकार है : – 

1. निगमन विधि में रटने की प्रवृति विकसित होती है।  
2. इसमें अपूर्ण ज्ञान होता है। 
3. निगमन विधि में वैज्ञानिक दृष्टिकोण उत्पन्न नहीं हो पाता है।  

 

Ques – आगमन विधि को हम दूसरे किस नाम से जानते हैं ?

A.  निगमन विधि

B. प्रशिक्षण विधि

C.  उदाहरण विधि

D.  विश्‍लेषण विधि

Ans – C

 

आगमन विधि को अन्‍य किस नाम से जाना जाता है ?

आगमन विधि व्याकरण पढ़ने के लिए सबसे अच्छी विधि है।  इसलिए इस विधि को हम व्याकरण शिक्षण की वैज्ञानिक विधि के नाम से भी जानते हैं। आगमन विधि को दो और भी नाम से जाना जाता है – सूत्र प्रणाली विधि और संश्लेषण प्रणाली विधि। 

 

आगमन और निगमन प्रणाली में अंतर ( Aagman Aur Nigaman Vidhi Mein Antar )

आगमन और निगमन विधि एक दूसरे का उल्टा विधि है। इस टॉपिक को डिटेल में पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।

 

आगमन और निगमन विधि के जनक : –

आगमन और निगमन विधि के जनक अरस्तु थे।  

 

आगमन विधि In English : – 

आगमन विधि को English में कहते हैं –  Inductive Method

 

निगमन विधि In English : – 

निगमन विधि को English में कहते हैं –  Deductive Method

 

आगमनात्मक विधि क्या है ?

आगमनात्मक विधि उस विधि को कहा जाता है जिसमें वैज्ञानिक विधि से अर्जित ज्ञान को विशेष तथ्य के आधार पर सामान्य रूप से निष्कर्ष तक पहुंच जाता है। 

 

आगमन विधि का उदाहरण : – 

जब किसी बालक के सामने विषय से सम्बंधित Facts, Examples और वस्तु प्रस्तुत किया जाता है और अगर बालक स्वयं ही किसी निष्कर्ष पर पहुँचता है तो यह एक प्रकार से आगमन विधि का उदाहरण होता है।

 

निगमन विधि का उदाहरण : – 

अगर किसी बालक को विज्ञान, व्याकरण, अंकगणित के सामान्य नियम को प्रयोग द्वारा सफलतापूर्वक सिद्ध कराया जाए तो यह एक निगमन विधि का उदाहरण होता है।

 

आगमन विधि के प्रकार :- 

आगमन विधि के मुख्यतः 2 प्रकार होते हैं। पहला का नाम है – प्रायोगिक आगमन विधि और दूसरा का नाम है – सांख्यिकी आगमन विधि।

 

क्या आप पढ़ना चाहते हैं ?

1. TET की तैयारी कैसे करें ?

2. ग्रेडिंग प्रणाली से आप क्या समझते हैं ?

 

निष्कर्ष : – मुझे उम्मीद है कि ऊपर दिए गए आगमन और निगमन विधि ( Aagman Nigman Vidhi ) के बारे में आप अच्छी तरह से पढ़ लिए हैं और आपको अच्छे से समझ आ गया होगा। आप जो प्रश्न को नहीं जानते हैं उसे अपनी कॉपी में note कर लें।

Scroll to Top