ग्रेडिंग प्रणाली क्या है ?
भारत में ग्रेडिंग प्रणाली की शुरुआत 2009-10 में हुई थी। इस प्रणाली का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थी का सम्पूर्ण विकास करने से है।
ग्रेडिंग प्रणाली एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें शिक्षक के द्वारा विद्यार्थी का बौद्धिक क्षमता का जांच किया जाता है। शिक्षक विद्यार्थी का जाँच एग्जाम में प्राप्त हुए अंक के आधार पर करते हैं।
पहले के समय में विद्यार्थी का मूल्यांकन के लिए अंक और प्रतिशत का प्रयोग किया जाता था। इसके अलावा दूसरा कोई उपाय नहीं था। लेकिन वर्तमान समय में पूरे देश में विद्यार्थी का मूल्यांकन के लिए ग्रेडिंग प्रणाली का प्रयोग किया जा रहा है।
परीक्षा के नियमों में सुधार के लिए 1972 में ग्रेडिंग प्रणाली व्यवस्था को अपनाने का सुझाव दिया गया था। यह सुझाव विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के द्वारा दिया गया था। इसके लिए एक उच्च कमिटी का गठन किया गया था।
यह सुझाव देश के सभी विश्वविद्यालयों में भेजा गया था। तिमाही, छमाही, नौमाही और वार्षिक परीक्षा में ग्रेडेशन के माध्यम से विद्यार्थियों का परिणाम घोषित करना था।
ग्रेडिंग प्रणाली को विस्तार में समझने से पहले हम ग्रेड शब्द का अर्थ समझेंगे। शैक्षिक स्तर पर ग्रेड का मतलब होता है विद्यार्थी के परफॉर्मन्स को एक निश्चित सीमा में बताना।
ग्रेड में अंक का रेंज पता चलता है। मुख्यतः पांच ग्रेड दिए जाते हैं – A, B, C, D और E . सबका अर्थ अलग-अलग होता है। लेकिन कहीं-कहीं ग्रेडेशन A1, A2… या A+, A-…. के रूप में भी किया जाता है।
A ग्रेड का मतलब होता है – उत्कृष्ट, B ग्रेड का मतलब होता है – बहुत अच्छा, C ग्रेड का मतलब होता है – अच्छा, D ग्रेड का मतलब होता है – कमजोर और E ग्रेड का अर्थ होता है – बहुत कमजोर।
1972 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने परीक्षा सुधार के लिए कुछ सुझाव पेश किए थे तथा उन्हें देश के विश्वविद्यालयों में भेजा गया। इस पर निरक्षण हेतु उच्च कमिटी की स्थापना की गई।
UGC द्वारा भेजी गई सिफारिस में एक प्रमुख सिफारिश मूल्यांकन के लिए अंको की अपेक्षा ग्रेड का प्रयोग करना था।
आयोग के अनुसार सिर्फ वार्षिक परीक्षा में ही नहीं बल्कि तिमाही, छमाही और नौमास की परीक्षा लेकर स्वतंत्र रूप से बनाए गए ग्रेडों की सहायता से विद्यार्थी की परीक्षा के परिणाम निकाले जाए।
ग्रेडिंग प्रणाली का अर्थ :-
पढ़यक्रम के विभिन्न स्तरों का मानक मापदंडों के आधार पर आकलन तथा मूल्यांकन करना। अर्थात हम कह सकते हैं कि ग्रेडिंग प्रणाली विद्यार्थियों की उपलब्धियों का गुणात्मक आकलन है।
जिससे पुरे देश में एक ही पाठ्यक्रम, एक ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति और ग्रेड निर्धारित प्रणाली लागू करने पर बल दिया गया है, जिससे पुरे देश में एक ही प्रकार की व्यवस्था होने से समानता, विश्वसनीयता और प्रमाणिकता बनी रहे।
ग्रेडिंग प्रणाली के प्रकार (Types of Grading System) :-
1. प्रतिशत ग्रेडिंग (Percentage Grading) – प्रतिशत ग्रेडिंग आजकल कुछ विद्यालय और विश्वविद्यालय में प्रयोग किया जाता है। इसमें विद्यार्थी का मूल्यांकन परीक्षा में प्राप्त अंक एवं असाइनमेंट में प्राप्त अंक को 100 प्रतिशत के आधार पर किया जाता है।
2. अक्षर ग्रेडिंग (Letter Grading) :- इस प्रकार के ग्रेडिंग सिस्टम में विद्यार्थी को इंग्लिश के 5 Letter के आधार पर ग्रेड दिया जाता है। इस प्रणाली में विद्यार्थी को ग्रेड देने के लिए A, B, C, D और E Letter का प्रयोग किया जाता है। ज्यादातर विद्यार्थी को ग्रेड देने के लिए Letter के अलावा + और – चिन्हों का भी प्रयोग किया जाता है।
3. सामान्य संदर्भित ग्रेडिंग (Normal – Referenced Grading) : – इस प्रणाली में विद्यार्थियों की तुलना ग्रुप में की जाती है। इस प्रणाली में कक्षा के कुछ विद्यार्थी की तुलना उसी कक्षा के कुछ अन्य विद्यार्थियों से की जाती है। इस ग्रेडिंग प्रणाली में विद्यार्थी का ग्रेडेशन उसके खुद के परफॉर्मेंस के आधार पर नहीं बल्कि दूसरे विद्यार्थी के तुलना में की जाती है।
उदाहरण – किसी क्लास में 10 टॉपर को एक श्रेणी में रखा जाता है और 10 सबसे कम नंबर लाने वाले विद्यार्थी को दूसरे श्रेणी में रखा जाता है।
4. मास्टरी ग्रेडिंग (Mastery Grading) : – इस तरह के ग्रेडिंग सिस्टम में बच्चे का मूल्यांकन किसी एक टॉपिक या विषय में ज्ञान के आधार पर किया जाता है। उदाहरण – अगर कोई विद्यार्थी कंप्यूटर टॉपिक पर बहुत अच्छा निबंध लिखता है तो उसे बहुत अच्छा ग्रेड दिया जाता है।
5. सफल या असफल (Pass or Fail) : – इस प्रणाली में विद्यार्थी को पास या फेल किया जाता है। जब कोई विद्यार्थी पासिंग मार्क्स के बराबर या उससे ज्यादा नंबर लाता है तो उसे पास कर दिया जाता है और अगर वह पासिंग मार्क्स से कम नंबर लाता है तो उसे फेल कर दिया जाता है। यह सिस्टम कुछ हद तक अंकन प्रणाली से मिलता-जुलता है।
6. मानदंड संदर्भित ग्रेडिंग (Criterion – Referenced Grading) : – इस प्रकार के ग्रेडिंग प्रणाली में ये ध्यान में रखा जाता है कि विद्यार्थी शिक्षण के उद्देश्य को कितना पूरा किया है।
अब हम विस्तार से पढ़ने वाले हैं ग्रेडिंग प्रणाली के गुण और अवगुण के बारे में : –
ग्रेडिंग प्रणाली के गुण (Merits Of Grading System) : –
1. ऐसा देखा गया है कि जहाँ-जहाँ ग्रेडिंग सिस्टम आ गया है वहां पर अंक प्रणाली की तुलना में ज्यादा बच्चे पास होते हैं।
2. विद्यार्थियों को केवल परीक्षा के आधार पर अंक या ग्रेड नहीं दिया जाता है बल्कि उनके असाइनमेंट, व्यवहार और उपस्थित के आधार पर भी ग्रेड दिया जाता है।
3. ग्रेडिंग प्रणाली में कुछ ग्रेड सामूहिक रूप से भी कार्य को पूर्ण करने पर दिया जाता है। इससे बालक में सामूहिकता की भावना का विकास होता है।
4. ग्रेडिंग प्रणाली में ज्यादा मार्क्स लाने का प्रेशर विद्यार्थी के ऊपर से कम हो जाता है।
5. ग्रेडिंग प्रणाली में माता-पिता अपने बच्चे के बौद्धिक क्षमता को सही तरह से परख सकते हैं। उन्हें ग्रेडिंग प्रणाली के माध्यम से पता चल जाता है कि उनका बच्चा पढ़ने में कैसा है।
6. ग्रेडिंग प्रणाली में बच्चे का परफॉर्मेंस का मूल्यांकन समय-समय पर होते रहता है।
ग्रेडिंग प्रणाली के अवगुण/कमियां (Demerits Of Grading System) : –
1. बच्चे पढ़ाई में ज्यादा प्रयास नहीं करते हैं क्यूंकि उनको पता है कि वे लक्षित ग्रेडिंग आसानी से प्राप्त कर लेंगे।
2. बच्चे के कॉम्पिटिशन स्तर में भी गिरावट आयी है क्योंकि बच्चों को पता है 91 – 100 तक कितने भी नंबर आए उनको A + ग्रेड ही मिलना है।
3. बच्चों के विश्वास में कमी आती है। अगर कोई छात्र 1 नंबर भी ज्यादा लेने के लिए दिन – रात बराबर करता है तब भी एक ही ग्रेडिंग वर्ग में उसको रखा जायेगा।
4. ग्रेडिंग प्रणाली में बच्चे अन्य क्रियाओं में ज्यादा सक्रीय और पढ़ाई में कम सक्रीय होते हैं।
ग्रेडिंग प्रणाली के महत्व :-
1. ग्रेडिंग प्रणाली में छात्र का नंबर एक रेंज में पता चलता है। इससे बच्चे अगर एक-दो नंबर कम-ज्यादा लाते हैं तो पता नहीं चलता है। इसलिए उनका मानसिक तनाव कम होता है।
2. इस प्रणाली में बच्चे को सभी क्षेत्रों में आकलन करने के बाद अंक दिए जाते हैं। जैसे – परीक्षा में प्राप्त अंक, विद्यालय में उपस्थिति, उनका व्यवहार।
3. ग्रेडिंग सिस्टम में बच्चे के बौद्धिक क्षमता के साथ-साथ व्यावहारिक क्षमता का भी मूल्यांकन हो जाता है। इसलिए ऐसा कहा जाता है कि यह प्रणाली बच्चे के बेहतर विकास के लिए जरूरी है।
4. ग्रेडिंग के आधार पर विद्यार्थी के माता-पिता अपने बच्चे के पढ़ाई के साथ-साथ उनके चरित्र और व्यवहार के बारे में भी जान पाते हैं। माता-पिता अपने बच्चे के पढ़ाई के लिए घर पर भी व्यवस्था कर सकते हैं।
5. ग्रेडिंग प्रणाली में एक विद्यालय या एक बोर्ड के विद्यार्थी की तुलना दूसरे विद्यालय या दूसरे बोर्ड के विद्यार्थी से आसानी से किया जा सकता है।
6. जब से ग्रेडेशन सिस्टम आया है तब से परफॉरमेंस रिपोर्ट को लेकर बच्चे और अभिभावक ज्यादा संतुष्ट रहते हैं। इसलिए इस प्रणाली के मूल्यांकन को अंकन प्रणाली के मूल्यांकन से ज्यादा विश्वसनीय माना जाता है।
7. ग्रेड प्रणाली के माध्यम से एक विषय की पढ़ाई कर रहे छात्र की तुलना दूसरे विषय की पढ़ाई कर रहे छात्र से की जा सकती है। जैसे साइंस वाले छात्र की तुलना आर्ट्स वाले छात्र से की जा सकती है।
8. ग्रेड प्रणाली के अन्तर्गत पढ़ रहे विद्यार्थी का माइग्रेशन (स्थानांतरण) एक संस्थान से दूसरे संस्थान में कर पाना ज्यादा आसान होता है।
ग्रेडिंग प्रणाली और उसमें नंबर : –
अब हमलोग पढ़ने वाले हैं कितने नंबर आने पर कौन से ग्रेड दिया जाता है। 0 से 30 के बीच नंबर लाने पर E ग्रेड दिया जाता है। 31 से 40 के बीच नंबर लाने पर D ग्रेड दिया जाता है। 41 से 60 के बीच नंबर लाने पर C ग्रेड दिया जाता है। 61 से 80 के बीच नंबर लाने पर B ग्रेड दिया जाता है। और 81 से 100 के बीच नंबर लाने पर A ग्रेड दिया जाता है।
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निष्कर्ष : – ग्रेडिंग प्रणाली के इस पुरे नोट्स को पढ़ने के बाद हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि यह प्रक्रिया निःसंदेह अंकन प्रणाली से बेहतर है। विद्यार्थी में कुछ नम्बर की वजह से पास-फेल का डर ख़त्म हो जाता है। शिक्षक और माता-पिता बच्चे का सभी तरह का विकास जान पाते हैं।
वैसे तो ग्रेडिंग प्रणाली की बहुत सारी विशेषताएं हैं लेकिन इस प्रणाली के कुछ खामियां भी हैं। जिनमें संशोधन की जरूरत है। अगर इनका संशोधन जल्दी कर दिया है तो इस प्रणाली से शिक्षा का स्तर और बेहतर हो जाएगा।