अभी आप पढ़ेंगे किशोरावस्था क्या है, किशोरावस्था की अवधि क्या है और किशोरावस्था को तूफान और तनाव की आयु स्टैनली हॉल ने क्यों कहा था। किशोरावस्था को English में Adolescence कहते हैं। यह एक Latin शब्द होता है जिसका अर्थ है – परिपक्वता की ओर बढ़ना।
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किशोरावस्था क्या है ?
बाल्यावस्था के बाद की अवस्था को किशोरावस्था कहा जाता है। इस अवस्था में किशोर में सोचने और समझने की क्षमता का विकास हो जाता है। इस अवस्था में शारीरिक और प्रजनन अंग तेजी से वृद्धि करता है। मन में कई तरह के सवाल उत्पन्न होते हैं।
किशोरावस्था की अवधि क्या है : –
किशोरावस्था की अवधि 12 वर्ष से लेकर 18 वर्ष तक होता है। यह बाल्यावस्था के बाद और प्रौढ़ अवस्था के पहले का समय होता है। यह अवस्था लगभग 7 वर्ष का होता है। इस अवधि में शारीरिक और मानसिक विकास बहुत तेजी से होता है।
12 से 15 वर्ष की अवस्था में किशोर के शरीर में वृद्धि की गति तेज होती है. किशोर के अपेक्षा किशोरी का शरीर बहुत तेजी से वृद्धि करता है।
12 वर्ष की आयु से लेकर 19 वर्ष की आयु तक इस अवस्था को भागों में विभाजित किया जा सकता है :-
1. पूर्व किशोरावस्था ( Early Adolescence ) 12 से 16 वर्ष की आयु तक।
2. उत्तर किशोरावस्था ( Late Adolescence ) 17 से 19 वर्ष की आयु तक।
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किशोरावस्था तूफान और तनाव की आयु है स्पष्ट कीजिए / किशोरावस्था – एक समस्या काल : –
1. समायोजन की समस्या – इस अवस्था में परिवेश की संस्कृति और पर्यावरण के साथ समायोजन करने में कठिनाई होती है। कुछ किशोर तो इस असमर्थता के कारण मानसिक रूप से परेशान हो जाते हैं।
2. संवेगों की परिवर्तनशीलता – किशोर इस अवस्था में अपने संवेग को सही से समझ नहीं पाता है क्योंकि उसमें संवेग बहुत तेजी से होता है।
3. तीव्र गति से शारीरिक विकास – इस अवस्था में किशोर के शरीर का कुछ भाग बहुत तेजी से वृद्धि करता है जैसे – प्रजनन अंग का बढ़ना। शरीर में वृद्धि होने से वे खुद पर नियंत्रण नहीं कर पाते हैं और इसलिए इस उम्र के किशोर में – गुस्सा आना, घृणा करना, बात न मानना स्वाभाविक होता है।
4. अपराध प्रवृति – इस अवस्था में किशोर अपने से बड़े लोगों का बात नहीं मानते हैं। सही बात कहने पर भी उन्हें गलत लगता है। इस अवस्था किशोर नकारात्मक सोच रखते हैं। समाज के द्वारा बनाए गए नियमों और कानूनों का उल्लंघन करते हैं जिसका बुरा असर पुरे समाज पर पड़ता है।
5. अनिश्चित स्थिति – इस अवस्था में किशोर न तो बाल्यावस्था में होते हैं न ही प्रौढ अवस्था में होते हैं। इसलिए वह कभी बालक की तरह व्यवहार करता है, तो कभी प्रौढ़ की तरह व्यवहार करता है।
6. पारिवारिक कठिनाइयाँ – इस अवस्था में किशोर को पारिवारिक कठिनाइयों से भी गुजरना पड़ता है। जैसे – किशोर इस अवस्था में अपने मन के मुताबिक कुछ करना चाहते हैं लेकिन उन्हें नहीं करने दिया जाता है।
7. स्वतंत्रता की अभिलाषा – किशोर इस अवस्था में स्वतंत्र रूप से आजाद रहना चाहते हैं। वह सोचते हैं हमारे ऊपर किसी तरह का दबाव नहीं बनाया जाए। लेकिन ऐसा नहीं होता है । उन्हें अपने से बड़ों लोगों और समाज में रहने वाले लोगों की बात माननी पड़ती है।
8. मन में दुविधा – इस अवस्था में किशोर के मन में दुविधा की भावना उत्पन्न होने लगता है। वह सही और गलत का फैसला नहीं कर पाता है। वह समझ नहीं पाता है कि जो वह करने जा रहा है वह सही है या गलत।
9. निर्णय में कठिनाई – इस अवस्था में किशोर को यह लगता है कि वह भी सही निर्णय कर सकता है लेकिन उसे निर्णय लेने नहीं दिया जाता है।
माता – पिता और बड़े लोगों के द्वारा कही गई बातों को मानना पड़ता है जिसके कारण उसे घुटन महसूस होने लगती है।
10. आकस्मिक विकास – किशोरावस्था में अचानक ही किशोर के शरीर में अनेक परिवर्तन होने लगते हैं। जैसे – बालक का दाढ़ी-मूँछ आना, उसका आवाज बदलना।
11. दृष्टिकोण में अस्थिरता – किशोरावस्था में तीव्र गति से होने वाले शारीरिक और मानसिक परिवर्तनों के कारण ही उसकी रुचियों और भावनाओं में भी जल्दी ही परिवर्तन होता है। उसमें नवीन संवेग और स्थायी भाव जाग्रत होते हैं। इसी के परिणामस्वरूप उसके दृष्टिकोण, धारणाओं और विचार में परिवर्तन होते रहते हैं।
12. समाज विरोधी प्रवृत्ति – किशोर इस अवस्था में समाज के द्वारा बनाया गया नियम और कानून का विरोध करना है। वह समाज के बनाये गए नियम में नहीं रहना चाहता है।
समाज में कुछ ऐसे नियम और कानून बनाया जाता है जिसे वे स्वीकार नहीं करते हैं जैसे – लड़की की शादी के लिए 18 वर्ष और लड़का की शादी के लिए 21 वर्ष होना चाहिए।
13. अस्त-व्यस्त मनोदशा – इस अवस्था में उनके मन में कई तरह भाव उत्पन्न होने लगते हैं जिसके कारण उनका मन भटकने लगता है जैसे – किसी कार्य को करने पर सफलता प्राप्त नहीं होता है, जिससे उसका मन अस्त-व्यस्त हो जाता है।
14. आत्म प्रदर्शन की अधिकता – कुछ किशोर खुद को सही साबित करने के लिए उदंड हो जाते हैं। कुछ में सिर्फ दिखावा का शौक हो जाता है।
15. नवीन सम्बन्ध स्थापित करने में कठिनाई – इस उम्र के किशोर पारिवारिक संबंधों से मुक्त होना चाहते हैं। वे एक नई जीवन की शुरुआत करना चाहते हैं. लेकिन उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. जैसे – कॉलेज में लड़के और लड़कियां को हमउम्र से दोस्ती हो जाती है। वे शादी करना चाहते हैं लेकिन शादी करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
Conclusion (सारांश) :- इस टॉपिक में यह समझाया गया है कि किशोरावस्था क्या है, किशोरावस्था की अवधि कितनी होती है । किशोरावस्था में किस तरह के समस्याओं का सामना करना पड़ता है। Teaching से संबंधित अन्य टॉपिक को आप GurujiAdda.com पर खोज सकते हैं।