दिल्ली सल्तनत नोट्स इन हिंदी | Delhi Sultanate Notes In Hindi

दिल्ली सल्तनत नोट्स इन हिंदी के इस टॉपिक में आप पढ़ने वाले हैं – दिल्ली सल्तनत के पांच वंश के बारे में। इस टॉपिक में मैंने दिल्ली सल्तनत के सभी वंश को आसान भाषा में समझाया है।

 

दिल्ली सल्तनत की स्थापना कब और कैसे हुई ?

13वीं शादी के शुरुआत में मोहम्मद गौरी ने भारत पर आक्रमण करके दिल्ली और दिल्ली के पास के क्षेत्र पर जीत हासिल किया। उसके बाद उसने अपने गुलाम कुतुबुद्दीन ऐबक को दिल्ली का शासक बना दिया।

 

दिल्ली सल्तनत ( 1206 – 1526 ) : – 

1206 से 1526 तक के समय को दिल्ली सल्तनत कहा जाता है। दिल्ली सल्तनत में पांच वंश थे – गुलाम वंश, खिलजी वंश, तुगलक वंश, सैयद वंश और लोदी वंश।   

 

दिल्ली सल्तनत के वंश

गुलाम वंश : – 

गुलाम वंश का शासनकाल 1206 से 1290 तक था। गुलाम वंश में भी तीन वंश थे। कुतुबी वंश, शमशी वंश और बलबनी वंश। गुलाम वंश का संस्थापक कुतुबुद्दीन ऐबक था। इनकी राजधानी लाहौर थी। कुतुबी वंश के शासक का नाम कुतुबुद्दीन ऐबक और आरामशाह था। 

 

शमशी वंश के शासक का नाम इलतुतमश, रुकनुद्दीन फिरोजशाह, रजिया सुल्तान, मुइज़ुद्दीन बहरामशाह और नासिरुद्दीन महमूद था। बलबनी वंश के शासक का नाम ग्यासुद्दीन बलबन, कैकुबाद और क्युमर्स था। 

 

खिलजी वंश : – 

खिलजी वंश का शासन 1290 से 1320 तक था। खिलजी वंश के शासक का नाम जलालुद्दीन खिलजी, अलाउद्दीन खिलजी, शिहाबुद्दीन उमर, कुतुबद्दीन मुबारक और नासिरुद्दीन खुसरो था। 

 

तुगलक वंश : –  

तुगलक वंश का शासनकाल 1320 से 1414 तक था। तुगलक वंश के शासक का नाम ग्यासुद्दीन तुगलक, मोहम्मत बिन तुगलक, फिरोजशाह तुगलक और नसीरुद्दीन तुगलक था।

तुगलक वंश का पहला शासक गयासुद्दीन तुगलक था। गयासुद्दीन तुगलक 5 वर्षों तक शासन किया था। गयासुद्दीन तुगलक दिल्ली के निकट एक तुगलकाबाद शहर बसाया था।  

 

सैयद वंश : –  

सैयद वंश का शासनकाल 1414 से 1451 तक था। इस वंश के शासक का नाम खिज्र खां सैयद , मुबारक शाह और अलाउद्दीन आलमशाह था। 

 

लोदी वंश : – 

सैयद वंश के बाद लोदी वंश का आया इनका शासनकाल 1451 से 1526 तक था। लोदी वंश में तीन शासक थे – बहलोल लोदी , सिकंदर लोदी और इब्राहिम लोदी। 

 

कुतुबद्दीन ऐबक का सामान्य परिचय : – 

कुतुबुद्दीन ऐबक का जन्म तुर्किस्तान में हुआ था। यह मुहम्मद गौरी का गुलाम था। मुहम्मद गौरी ने कुतुबुद्दीन ऐबक को सैनिक सेवा के लिए खरीदा था। गुलाम को फारसी में बंदगा कहा जाता था। 

 

दिल्ली के सुल्तानों द्वारा गुलाम को क्यों खरीदा जाता था ?

गुलामों को खरीदने की प्रक्रिया दिल्ली सल्तनत में आम बात थी। दिल्ली सल्तनत के शासक गुलाम को सैन्य सेवा के लिए खरीदते थे।

 

मुहम्मद गौरी के द्वारा कुतुबुद्दीन को दिल्ली का शासक बनाया गया था। कुतुबुद्दीन ऐबक का शासनकाल 1206 से 1210 तक था। कुतुबुद्दीन ऐबक को दिल्ली सल्तनत का संस्थापक माना जाता था। कुतुबुद्दीन ऐबक को चौगान खेलते समय घोड़ा से गिरने पर आकस्मिक मृत्यु हो गई थी। 

 

कुतुबुद्दीन ऐबक का पारिवारिक शासन नीति : – 

कुतुबुद्दीन ऐबक गजनी से सुरक्षित रहने के लिए गजनी के शासक ताजुद्दीन याल्दौज के पुत्री से शादी कर लिया और उससे सुरक्षित हो गया था। मुल्तान का शासक नासिरुद्दीन कुवाचा था। मुल्तान से सुरक्षित होने के लिए कुतुबुद्दीन ऐबक ने अपनी बहन का विवाह नासिरुद्दीन कुवाचा से करवा दिया था।  

 

कुतुबुद्दीन ऐबक का गुलाम इल्तुतमीश था। कुतुबुद्दीन ऐबक के पुत्री का नाम शाहतुर्किन था।  वह अपनी पुत्री का विवाह इल्तुतमिश से करवा दिया था। इनके दरबारी कवि फ़र्रूखमुदीर और हसन निजाम थे। हसन निजाम ने ताज-उल-मासिर की रचना किया था। 

 

कुतुबुद्दीन ऐबक 15 मार्च 1206 में मोहम्मद गौरी की मृत्यु के पश्चात लाहौर का शासन संभाला था। कुतुबुद्दीन ऐबक ने अपना राज्याभिशेख 25 जनवरी 1206 में किया था। इन्होंने 1206 से 1208 तक के बीच के समय में सिपहसलार व मलिक के रूप में शासन किया था। 

 

1208 में मोहम्मद गौरी का उत्तराधिकारी ग्यासुद्दीन महमूद था। कुतुबुद्दीन ऐबक ग्यासुद्दीन महमूद के दास मुक्ति पत्र से स्वतंत्र शासक बन गया था। 1210 में जब कुतुबुद्दीन ऐबक पोलो खेल रहा था उसी समय वह घोड़े से गिर जाता है और उसकी मृत्यु हो जाती है। कुतुबुद्दीन ऐबक के मृत्यु के बाद लाहौर में मकबरा बनवाया गया था। 

 

कुतुबुद्दीन ऐबक को दानशीलता के कारण हातिम II की उपाधि दी गई थी । इसने लाखो लोगों को दान दिया था इसलिए इन्हे लाख बख्श की उपाधि दिया गया था । कुरान का कुरान पाठक में कुरान खां की उपाधि दी गई थी। मोहम्मद गौरी ने कुतुबुद्दीन ऐबक को ऐबक, मलिक और सिपहसलार की उपाधि दी थी । 

 

कुतुबमीनार : – 

कुतुबमीनार का निर्माण शेख ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तयार काकी के स्मृति में बनवाया गया था। यह एक सूफी संत थे। कुतुबमीनार का निर्माण कुतुबुद्दीन ऐबक ने केवल 1 मंजिल तक बनवाया था। 

 

इनका गुलाम व दामाद इल्तुतमिश ने 4 मंजिल तक निर्माण पूरा किया। कुतुबमीनार का निर्माण 4 मंजिल तक पूरा हो गया तो फिरोजशाह तुगलक ने चौथा मंजिल को हानि पहुंचा दिया अर्थात तोड़ दिया था। 

 

फिरोजशाह तुगलक के द्वारा चौथी मंजिल के स्थान पर 2 मंजिल और बनवाया गया था। कुतुबमीनार 5 मंजिला भवन था। कुतुबमीनार की ऊंचाई 72 मीटर थी। 

 

अढ़ाई दिन का झोपड़ा : – 

अढ़ाई दिन का झोपड़ा अजमेर में स्थित है। इसका निर्माता कुतुबुद्दीन ऐबक ने करवाया था। अढ़ाइ दिन का झोपड़ा का निर्माण संस्कृत महाविद्यालय को तोड़कर किया गया था। 

 

कुव्वत – उल – इस्लाम मस्जिद : – 

कुव्वत – उल – इस्लाम मस्जिद दिल्ली में स्थित है। इसका निर्माता कुतुबुद्दीन ऐबक था। कुव्वत – उल – इस्लाम मस्जिद का निर्माण जैन मंदिर को तोड़कर किया गया था। इसकी विशेषता है कि यह भारत का पहला मस्जिद था। यह मस्जिद दिल्ली में कुतुबमीनार के निकट स्थित है। 

 

शमशी वंश की स्थापना : –  

कुतुबी वंश का संस्थापक कुतुबुद्दीन ऐबक था। कुतुबुद्दीन ऐबक का पुत्र का नाम आरामशाह था। इनका शासनकाल 8 महीने तक रहा था। कुतुबुद्दीन ऐबक के पुत्री नाम शाहतुर्किन था। इसने अपनी पुत्री का विवाह इल्तुतमिश से कर दिया। इल्तुतमिश कुतुबुद्दीन ऐबक का गुलाम था और अब यह दामाद भी बन गया था। 

 

इल्तुतमिश और शाहतुर्कीन दोनों ने मिलकर आरामशाह  को मारने का एक पलान बनाया। और  उसने आरामशाह को जहर देकर ह्त्या कर दिया था। शमशी वंश का संस्थापक इल्तुतमिश था। 

 

इसका शासनकाल 1210 से 1266 तक था। शमशी वंश की राजधानी दिल्ली थी। शमशी वंश के शासक इल्तुतमिश, रुकनुद्दीन फिरोजशाह, रजिया सुल्तान, मुइजुद्दीन बहरामशाह और अलाउद्दीन महसुदशाह। इल्तुतमिश केवल 1210 तक ही शासन किया था।       

 

शमशी वंश – इल्तुतमिश : – 

इल्तुतमिश का गुलाम : – 

इल्तुतमिश ने चालीसा (चहलगानी) का गठन किया था। इस चहलगामी में 40 योग्य गुलाम शामिल थे इसमें सरदार भी शामिल था। आगे चलकर गयासुद्दीन बलबन ने 40 योग्य गुलाम को दमन कर दिया था। 

 

इल्तुतमिश का न्याय : – 

इल्तुतमिश  न्याय प्रिय शासक था। इल्तुतमिश से न्याय मांगने का तरीका ही अलग था। इल्तुतमिश के शासनकाल में दो तरह से न्याय मांग सकते थे। पहला लाल वस्त्र धारण करके और दूसरा संगमरमर की 2 शेरो की मूर्ति पर लगी घंटी को बजाकर न्याय का मांग  किया जाता था। 

 

इल्तुतमिश का सिक्का : – 

इल्तुतमिश के द्वारा चांदी और तांबे के दो सिक्का को चलाया गया था। चांदी को चांदी का टका कहा गया और तांबे को तांबे का जीतल कहा गया। पहला तुर्क शासक जिसने अरबी के सिक्के चलाए थे। सिक्के पर बगदाद के खलीफा का नाम लिखवाया था।

 

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दिल्ली सल्तनत का विस्तार कैसे हुआ ?

दिल्ली सल्तनत का विस्तार मुख्यतः गयासुद्दीन बलबन, अलाउद्दीन खिलजी और मुहम्मद तुगलक ने अपने शासनकाल के दौरान किया था। विस्तार करने का मुख्य उद्देश्य था – दिल्ली सल्तनत की छावनी को और भी मजबूत और बड़ा बनाना। 

 

निष्कर्ष – इस टॉपिक में दिल्ली सल्तनत के पांच वंश में से सबसे महत्वपूर्ण गुलाम वंश था। गुलाम वंश का संस्थापक कुतुबुद्दीन ऐबक को माना जाता था।

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