परामर्श किसे कहते हैं | निर्देशन एवं परामर्श में अंतर | Paramarsh Kise Kahate Hain

परामर्श किसे कहते हैं ( Paramarsh Kise Kahate Hain ) ?

परामर्श का अर्थ एवं परिभाषा – परामर्श शब्द दो व्यक्तियों से सम्बन्ध रखता है – परामर्शदाता तथा परामर्श प्रार्थी। परामर्श को English में Counselling कहते हैं।

 

आज आप पढ़ने वाले हैं – परामर्श किसे कहते हैं, परामर्श का अर्थ, परामर्श की प्रकृति, परामर्श की विशेषताएं, परामर्श के उद्देश्य, परामर्श के क्षेत्र, परामर्श की आवश्यकता, परामर्श का सिद्धांत, परामर्श प्रक्रिया के प्रमुख घटक, परामर्श के प्रकार, निर्देशन और परामर्श में अंतर. इन सभी टॉपिक को आप विस्तार से पढ़ने वाले हैं.

 

परामर्श किसे कहते हैं ?
छात्र की समस्याओं के समाधान के लिए दी गयी व्यक्तिगत सहायता परामर्श कहलाता है।

परामर्श का अर्थ :-
परामर्श शब्द अंग्रेजी शब्द Counselling का हिन्दी रूपांतरण है। यह लैटिन भाषा के Counsitium शब्द से बना है जिसका अर्थ है – to consult अर्थात सलाह लेना या परामर्श लेना।

परामर्श दो व्यक्तियों के मध्य होने वाला विचारों का आदान-प्रदान है। इसमें एक परामर्शदाता होता है और दूसरा परामर्श प्राप्तकर्ता होता है।

एफ. वी. रॉबिन्सन बताते हैं कि परामर्श दो व्यक्तियों के बीच होने वाली क्रिया है जिसमें एक व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति द्वारा उसके सामाजिक वातावरण में प्रभावपूर्ण ढंग से समायोजन की सलाह दी जाती है।

 

परामर्श की प्रकृति :-
परामर्श एक अतिव्यापक और बहुआयामी प्रक्रिया है। इसमें व्यक्ति की शैक्षिक, व्यावसायिक और समायोजन सम्बन्धी समस्याओं के समाधान के लिए सलाह दी जाती है। परामर्श की प्रकृति निम्न बिन्दुओं से स्पष्ट की जा सकती है : –

1. परामर्श जीवन भर चलने वाली एक सतत प्रक्रिया है। मनुष्य की समस्याएं कभी ख़त्म नहीं होती है। अतः परामर्श की आवश्यकता जीवन भर बनी रहती है।

2. परामर्श एक समायोजन की प्रक्रिया है। जब छात्र नई जगह पर जाता है जैसे – विद्यालय, महाविद्यालय तो उसे वहां समस्याओं का सामना करना पड़ता है जिसके लिए उसे परामर्श की आवश्यकता पड़ती है।

3. परामर्श के द्वारा छात्र को उसके रुचियों, योग्यताओं के बारे में अवगत कराया जाता है।

4. परामर्श प्रक्रिया समस्या केंद्रित है।

5. परामर्श की क्रिया सहयोग एवं समन्वय पर आधारित होती है।

 

परामर्श की विशेषताएं :-

1. परामर्श समस्या केंद्रित होता है क्योंकि बिना समस्या का कोई परामर्श नहीं लेता है।

2. परामर्श सामूहिक प्रक्रिया न होकर व्यक्तिगत प्रक्रिया है। जिसमें मात्र दो व्यक्ति होते हैं।

3. परामर्श प्रक्रिया में दो लोग होते हैं। एक परामर्शदाता और दूसरा परामर्श प्राप्तकर्ता।

4. परामर्श अधिगम केंद्रित प्रक्रिया है क्योंकि इसमें समस्या के हल के साथ-साथ अधिगम भी होता है। (अधिगम = सीखना)

5. परामर्श के द्वारा किसी व्यक्ति या छात्र की समस्या को हल नहीं किया जाता बल्कि उसे अपनी समस्या के समाधान के लिए सहायता दी जाती है।

परामर्श के उद्देश्य

परामर्श के उद्देश्य :-
1. छात्र को आत्म निर्देशन के लिए समर्थन करना।
2. छात्र को भावी जीवन के लिए तैयार करना।
3. छात्र को उसकी समस्या समाधान के लिए सहायता प्रदान करना।
4. छात्र को सामाजिक समायोजन में सहायता करना।
5. छात्र को अपने लक्ष्य प्राप्ति के लिए लगातार प्रेरित करते रहना।

 

परामर्श का क्षेत्र अत्यंत व्यापक है जो इस प्रकार से हैं :-
1. शैक्षिक परामर्श
2. व्यावसायिक परामर्श
3. व्यक्तिगत परामर्श
4. वैवाहिक परामर्श
5. मनोचिकित्सकीय परामर्श

 

परामर्श की आवश्यकता :-
परामर्श समस्या केंद्रित प्रक्रिया है। अतः परामर्श की प्रमुख आवश्यकता परामर्श प्राप्तकर्ता की व्यक्तिगत समस्याओं का समाधान करना है। परामर्श की आवश्यकता इस प्रकार से हैं :-
1. अच्छा सामाजिक जीवन जीने के लिए परामर्श की आवश्यकता पड़ना।
2. छात्र में व्यावसायिक कुशलता के लिए परामर्श का आवश्यकता पड़ना।
3. छात्र में तकनीकी निपुणता बनाए रखने के लिए परामर्श का आवश्यकता पड़ना ।
4. सुरक्षित जीवन जीने के लिए परामर्श का आवश्यकता पड़ना।
5. मनोरंजन संबंधी समस्याओं को सुलझाने के लिए परामर्श की आवश्यकता पड़ना।
6. छात्र के अंतर्निहित शक्तियों की जानकारी के लिए परामर्श की आवश्यकता पड़ना।

 

परामर्श का सिद्धांत :-
परामर्श की प्रक्रिया विभिन्न सिद्धांतों पर निर्भर करती है जो इस प्रकार से है –
1. आत्मज्ञान का सिद्धांत
2. व्यक्ति के सम्मान का सिद्धांत
3. परस्पर सहयोग का सिद्धांत
4. आत्म स्वीकृति का सिद्धांत
5. आत्म निर्देशन का सिद्धांत
6. सामाजिक समायोजन का सिद्धांत

 

परामर्श प्रक्रिया के तीन प्रमुख घटक इस प्रकार से हैं –

1. परामर्श प्राप्तकर्ता = जिसे सलाह दी जाती है
2. परामर्शदाता = जो सलाह देता है
3. समस्या उद्देश्य का निर्धारण = मुख्य कठिनाई

 

परामर्श के प्रकार :-
सब लोगों की कठिनाइयां अलग – अलग तरह की होती हैं । अतः परामर्श भी भिन्न – भिन्न तरह से देना पड़ता है जो इस प्रकार से हैं –
1. निर्देशात्मक परामर्श
2. अनिर्देशात्मक परामर्श
3. सर्वग्राही परामर्श

 

निर्देशात्मक परामर्श :- निर्देशात्मक परामर्श परामर्शदाता केंद्रित है। क्योंकि इसमें परामर्शदाता को अधिक महत्व दिया जाता है। परामर्श में परामर्शदाता परामर्श प्रार्थी का पूर्ण रूप से मार्गदर्शन करता है।

 

अनिर्देशात्मक परामर्श :- अनिर्देशात्मक परामर्श में परामर्श प्रार्थी अधिक सक्रिय रहता है। परामर्श प्रार्थी को अपनी भावनाएं अभिव्यक्त करने की पूर्ण स्वतंत्रता होती है।

 

सर्वग्राही परामर्श :- सर्वग्राही परामर्श निर्देशात्मक और अनिर्देशात्मक का समन्वय रूप है। इसमें न तो परामर्शदाता को और न ही परामर्श प्रार्थी को प्रमुख स्थान दिया जाता है। बल्कि बीच का मार्ग अपनाया जाता है।

 

निर्देशन और परामर्श में अंतर : –
1. निर्देशन एक व्यापक प्रक्रिया है। जबकि परामर्श व्यापक प्रक्रिया नहीं है।
2. निर्देशन व्यक्तिगत और सामूहिक दोनों रूपों में दिया जा सकता है। जबकि परामर्श व्यक्ति केंद्रित है अर्थात परामर्श केवल एक व्यक्ति को दिया जा सकता है।
3. निर्देशन में दो या दो से अधिक व्यक्ति हो सकते हैं। जबकि परामर्श में मात्र दो व्यक्ति हो सकते हैं।
4. निर्देश के द्वारा व्यक्ति की शैक्षिक एवं व्यावसायिक समस्याओं का हल किया जाता है। जबकि परामर्श शिक्षा के अतिरिक्त अन्य क्षेत्रों में भी दिया जाता है।
5. निर्देशन शैक्षिक प्रक्रिया का अभिन्न अंग है। जबकि परामर्श निर्देशन का अंग है।
6. निर्देशन व्यक्ति को अनेक समस्याओं के लिए एक साथ दिया जा सकता है। जबकि परामर्श व्यक्ति को किसी एक समस्या के लिए एक समय दिया जा सकता है।

 

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निष्कर्ष – इस तरह से आपने परामर्श के बारे में और निर्देशन एवं परामर्श में अंतर को ऐसे समझा है जिसे आप कभी नहीं भूलोगे। GurujiAdda.com की यही विशेषता है कि यहाँ पर आपको किसी भी topics को समझने में कोई कठिनाई नहीं होगी।

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