आज हमलोग पढ़ने वाले हैं – जैव विविधता से आप क्या समझते हैं ( Jaiv Vividhata Se Aap Kya Samajhte Hain ). अभी आप जैव विविधता से सम्बंधित इन टॉपिक्स को पढ़ने वाले हैं – जैव विविधता के निर्माण के लिए आवश्यक शर्तें, जैव विविधता के स्तर, जैव विविधता का महत्व और जैव विविधता के लिए संकट क्या-क्या हैं।
इस टॉपिक को अगर आप लास्ट तक पढ़ेंगे तो आपका एक-एक Confusion Clear हो जायेगा।
जैव विविधता से आप क्या समझते हैं ?
किसी क्षेत्र में सजीव प्राणियों की विविधता को जैव विविधता कहते हैं। जैव विविधता क्षेत्र में अलग-अलग प्रकार की जीव-जंतुओं की प्रजातियां पाई जाती है। जीव -जंतुओं में भी अलग-अलग प्रकार के जीव जंतुओं का होना, सूक्ष्म जीवों में भी अलग-अलग सूक्ष्म जीवों का होना और पेड़-पौधों में भी अलग-अलग पेड़-पौधों का होना – जैव विविधता का उदाहरण है।
जैव विविधता शब्द का प्रयोग सबसे पहले वाल्टर ने किया था। लेकिन जैव विविधता का जनक विल्सन को माना गया है।
जैव विविधता के निर्माण के लिए आवश्यक 2 शर्तें :-
1. अत्यधिक वर्षा का होना
2. उच्च तापमान का होना
अगर पृथ्वी के किसी भी क्षेत्र में अत्यधिक वर्षा होता है और उसी क्षेत्र में उच्च तापमान भी रहता है तो उस क्षेत्र में जैव विविधता मौजूद होता है।
पृथ्वी के किसी भी क्षेत्र में अत्यधिक वर्षा का होना और उच्च तापमान का रहना जैव विविधता क्षेत्र के लिए आवश्यक शर्तें होता है।
जैव विविधता के 3 स्तर हैं : –
1. आनुवंशिक विविधता
2. प्रजाति विविधता
3. पारिस्थितिकी तंत्र (Ecosystem)
1. आनुवंशिक विविधता – किसी वर्ग समुदाय के एक ही प्रकार के जीव-जंतुओं के जीन में होने वाला परिवर्तन आनुवंशिक विविधता कहलाता है।
2. प्रजाति विविधता – पारिस्थितिकी तंत्र में रहने वाला जीव-जंतुओं, पेड़- पौधों और सूक्ष्म जीवों के मध्य प्रजातिय विविधता पाई जाती है।
3. Ecosystem – किसी क्षेत्र के सभी जीव-जंतुओं और वातावरण में उपस्थित अजैव कारक संयुक्त रूप से पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करते हैं।
जिस क्षेत्र में अधिक जीव-जंतुओं की विविधता देखने को मिलती है वह क्षेत्र खाद्य श्रृंखला होता है। इसी कारण से वर्षा क्षेत्रों में हॉटस्पॉट होता है।
वर्त्तमान में विश्व में कुल 36 हॉटस्पॉट हैं. भारत में हॉटस्पॉट के 4 क्षेत्र हैं : –
1. पश्चिमी घाट
2. पूर्वी हिमालय श्रृंखला
3. म्यांमार-भारत सीमा वाले क्षेत्र
4. सुण्डालैण्ड का भाग
हॉटस्पॉट क्या होता है ?
हॉटस्पॉट पृथ्वी का वैसा क्षेत्र होता है जहाँ सबसे ज्यादा जैव विविधता पाई जाती है और इस विविधता वाले क्षेत्र के जीव जातियों के अस्तित्व पर खतरा बना हुआ रहता है। हॉटस्पॉट शब्द का सबसे पहले प्रयोग नार्मन मायर्स के द्वारा 1988 में किया गया था।
अभी पुरे विश्व में कुल 36 हॉटस्पॉट हैं। इन 36 हॉटस्पॉट का कुल क्षेत्रफल विश्व के क्षेत्रफल का सिर्फ 2 % है।
जैव विविधता के निर्माण के लिए 2 आवश्यक शर्तें :-
1. अत्यधिक वर्षा का होना
2. उच्च तापमान का होना
अगर पृथ्वी के किसी भी क्षेत्र में अत्यधिक वर्षा होता है और उसी क्षेत्र में उच्च तापमान भी रहता है तो उस क्षेत्र में जैव विविधता मौजूद होता है।
पृथ्वी के किसी भी क्षेत्र में अत्यधिक वर्षा का होना और उच्च तापमान का रहना जैव विविधता क्षेत्र के लिए आवश्यक शर्तें होता है।
जैव विविधता का महत्व :-
जैव विविधता के चार मुख्य महत्व हैं :-
1. मृदा निर्माण
2. जल चक्र
3. पोषण चक्र
4. मृदा अपरदन रोकना
मृदा निर्माण – चट्टानों के टूटने-फूटने से मृदा का निर्माण होता है। चट्टान भौतिक, रासायनिक और जैव प्रक्रिया के द्वारा टूटता है। तापमान के अत्यधिक बढ़ने और घटने के कारण चट्टान टूटने-फूटने लगते हैं। तापमान का अत्यधिक बढ़ना और घटना भौतिक अपक्षय कहलाता है।
मृदा अपरदन रोकना – मृदा अपरदन को पेड़-पौधों के द्वारा रोका जा सकता है। मृदा का अपरदन नदियों द्वारा सबसे ज्यादा देखने को मिलती है। अगर नदियों में पानी आता है तो वह अपनी तेज प्रवाह से नदियों के किनारे की मिट्टी को बहाकर ले जाता है जिसे मृदा अपरदन कहते हैं।
जल चक्र – जल चक्र हमें अपने आस-पास के नदियों और तालाबों में देखने को मिलता है। जल चक्र ठंडा के अपेक्षा गर्मी के मौसम में सबसे ज्यादा देखने को मिलता है।
गर्मी के समय जल का वाष्पीकरण सबसे अधिक होता है। गर्मी के मौसम में जल वाष्प बनकर ऊपर जाता है और बादल का रूप ले लेता है। और वह बादल बाद में वर्षा के रूप में धरती पर आता है। यह प्रक्रिया जल चक्र कहलाता है।
पोषण चक्र – पोषण चक्र में छोटे – छोटे कीट-पतंग घास को खाते हैं। मेंढक कीट-पतंग को खाता है। सांप मेढ़क को खाता है और चील सांप को खाता है। यह प्रक्रिया पोषण चक्र कहलाता है।
जैव विविधता के लिए संकट :-
जैव विविधता के संकट के चार मुख्य कारण हैं –
1. जंगलों का कटना
2. प्राकृतिक आवास का विनाश होना
3. विदेशी प्रजातियों का प्रवेश होना
4. नगरीकरण और औद्योगीकरण होना
जैव विविधता संरक्षण :-
जैव विविधता संरक्षण दो तरह से किया जाता है।
1. In Situ ( स्वस्थान पद्धति )
2. Ex Situ ( बाह्य स्थान पद्धति )
In Situ ( स्वस्थान पद्धति ) – अगर किसी क्षेत्र में पेड़-पौधे और जीव-जंतु धीरे-धीरे समाप्त होने के कगार पर हैं तो उस क्षेत्र को संरक्षित किया जाता है। उस क्षेत्र में पेड़-पौधे और जीव-जंतु के विकास के लिए संरक्षित के लिए किए गए प्रयास को In Situ कहते हैं.
Ex Situ ( बाह्य स्थान पद्धति ) – अगर किसी प्रजाति का पौधा समाप्त होने के कगार पर है और हम उसे संरक्षण के लिए प्रयोगशाला या दूसरे स्थान पर ले जाते हैं तो उसे Ex Situ कहते हैं।
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Conclusion ( सारांश ) – जैव विविधता टॉपिक में मुख्य रूप से मैंने यह समझाया है कि जिस क्षेत्र में अत्यधिक वर्षा और उच्च तापमान रहता है, वह क्षेत्र जैव विविधता कहलाता है। Teaching से संबंधित अन्य टॉपिक के बारे में जानकारी के लिए GurujiAdda.com पर किसी भी टॉपिक को सर्च करें।