माध्यमिक स्तर पर सामाजिक विज्ञान शिक्षण के उद्देश्य | Madhyamik Star Par Samajik Vigyan Shikshan Ke Uddeshy

आज हम पढ़ने वाले हैं – माध्यमिक स्तर पर सामाजिक अध्ययन शिक्षण के उद्देश्य। मुख्य रूप से इस शिक्षण के 8 लक्ष्य होते हैं। इन उद्देश्य से यह स्थापित हो सकता है कि सामाजिक अध्ययन इतना अनिवार्य क्यों है।

 

मैं ये पहले ही बता देता हूँ कि मैं जो भी लिखा हूँ वो मेरी खुद की भाषा है। क्योंकि जितने भी किताब से मैंने इस टॉपिक को पढ़ने की कोशिश की उन सभी की भाषा मुझे कठिन लगी। अगर आप इस टॉपिक को लास्ट तक पढ़ लेते हो तो इस टॉपिक में 100 % नंबर लाने से कोई नहीं रोक सकता है।

 

सामाजिक अध्ययन शिक्षण के उद्देश्य :-

किसी भी विषय का अध्ययन करने से पहले उसके उद्देश्यों को निश्चित कर लेना जरूरी होता है। बिना किसी भी उद्देश्य का कार्यक्रम बनाना संभव नहीं है।

छात्रों को पढ़ाने की सामग्री का चुनाव करने से पहले उसके उद्देश्यों के बारे में जानना जरुरी होता है। सामाजिक शिक्षण के उद्देश्य को पहले जानना पाठ्य सामग्री के चुनाव की प्रक्रिया को आसान और सफल बनाता है।

 

माध्यमिक स्तर पर सामाजिक विज्ञान शिक्षण के उद्देश्य

 

सामाजिक अध्ययन शिक्षण के निम्नलिखित उद्देश्य इस प्रकार से हैं :-
1. बालकों के जीवन को उनके वातावरण के भीतर विकसित एवं समृद्ध करना –
बालकों को वातावरण के बारे में वैसी सभी जानकारी प्राप्त कर लेनी चाहिए जो उससे संबंधित होता है। 

सबसे पहले वातावरण क्या होता है। वातावरण व्यक्ति और समाज को किस प्रकार से प्रभावित करता है। व्यक्ति और समाज वातावरण को किस प्रकार से प्रभावित करता है। इन सभी के बारे में अध्ययन करना बहुत ही जरूरी है।

पहले के व्यक्ति और समाज वातावरण के समस्याओं का सामना किस प्रकार से करते थे और वर्तमान के समय में उन समस्याओं से कैसे छुटकारा पाना है। उन समस्याओं का ज्ञान व्यक्ति और समाज को होना चाहिए। ताकि आने वाले पीढ़ी इन सभी समस्याओं से बच सके और अपना जीवन सुख मय व्यतीत कर सके।

 

2. ज्ञान की प्राप्ति –

भाग दौड़ भरी जिंदगी में हम अपने जीवन का निर्वाह कैसे कर सकते हैं। हम अपनी समस्याओं को किस प्रकार से हल कर सकते हैं उसके लिए हमें थोड़ा बहुत ज्ञान होनी चाहिए।

बालक को इन सभी समस्याओं से निपटने के लिए सामाजिक अध्ययन शिक्षण की जरूरत है। बालक जब इन सभी समस्याओं के बारे में सोचता है तो उसका स्मरण शक्ति का विकास होता है।

अगर बालक किसी विषय पर तर्क और वितर्क करता है तो इसका मतलब है कि उसे किसी वस्तु या विषय के बारे में जानने की जिज्ञासा है। हमारे जीवन के विभिन्न समस्याओं में से सबसे बड़ी समस्या वातावरण है।

वातावरण की समस्या दिन प्रति-दिन बढ़ते चली जा रही है। वातावरण की समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए सामाजिक अध्ययन शिक्षण की आवश्यकता है।

 

3. ठीक प्रकार से आचरण का प्रशिक्षण –

पहले के समय में बालक को घर और धार्मिक संस्थाओं से ज्ञान की प्राप्ति होती थी। लेकिन बालक का चरित्र और आचरण का विकास नहीं हो पाता था। बालक के चरित्र और आचरण का निर्माण वर्तमान समय में विद्यालय के ऊपर सौंप दिया गया है। क्योंकि विद्यालय में ही चरित्र और आचरण के बारे में पढ़ाया और समझाया जाता है।

सामाजिक अध्ययन के शिक्षक ही चरित्र और आचरण के बारे में सही तरह से जानकारी दे सकते हैं। जब बालक के अंदर ये दोनों गुणों का विकास होता है तो समाज में उसका आदर और सम्मान बढ़ जाता है। ऐसे बालक को समाज के लोग काफी पसंद करते हैं।

4. उचित भावनाओं का विकास –

बालक में उचित भावनाओं का विकास करना भी सामाजिक अध्ययन का एक मुख्य उद्देश्य है। इन मनोवैज्ञानिक भावनाओं को हम अभिवृत्ति कहते हैं। यह दो प्रकार के होते हैं – बौद्धिक और भावनात्मक।

पर इनका अलग से वर्गीकरण संभव नहीं है क्यूंकि अधिकांश अभिवृद्धियाँ दोनों का मिश्रण होती हैं। बौद्धिक अभिवृद्धि वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित होती है।

एक अच्छे टीचर का कर्तव्य है कि वह बालक में उचित अभिवृति का निर्माण करने में योगदान दे। सामाजिक शिक्षण के माध्यम से अगर शिक्षक आत्मसंयम और धैर्य बनाकर इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए कार्य करे तो बालक में अभिवृतियों का विकास संभव हो पायेगा।

बच्चों में ऐसी भावनाओं का विकास करने से पहले शिक्षक को खुद में ऐसी अभिवृति का निर्माण करना चाहिए। तभी तो टीचर कुछ भी समझाते वक्त अपनी उदाहरण दे सकते हैं।

 

5. आदतों का निर्माण –
सामाजिक अध्ययन का उद्देश्य बालक में अच्छे-अच्छे आदतों का निर्माण करना भी होता है। किसी भी तरह के कार्य करने की सामान्य प्रवृत्ति को ही आदत कहते हैं।

सामाजिक अध्ययन शिक्षण का उद्देश्य तीन प्रकार के आदतों का निर्माण करना होता है – 1. अध्ययन सम्बन्धी आदतों का निर्माण करना, 2. पढ़ाये गए विषय को अपने जीवन में उचित तरीके से उपयोग में लाने की आदत और 3. विषम परिस्थितियों में समस्याओं का हल खोजते समय खुद पर नियंत्रण रखने की आदत।

 

6. कौशलों का निर्माण –

सामाजिक अध्ययन करते समय बालक में कौशलों का निर्माण होता है। कौशल एक प्रकार का उच्च स्तर का आदत होता है जिसका प्रयोग करते समय परिणाम को ध्यान में रखा जाता है। इस समय बालक को बहुत सावधानी बरतनी पड़ती है।

सामाजिक शिक्षण में मानचित्र, चार्ट, ग्राफ और मॉडल का निर्माण करवाना भी इसका उद्देश्य होता है। अगर बालक में उचित कौशल का निर्माण होता है तो वह भविष्य में एक बेहतर और उपयोगी इंसान बन सकेगा।

 

7. अपनेपन की भावना का विकास –

सामाजिक शिक्षण का एक उद्देश्य यह भी है कि बालक में अपनेपन की भावना का विकास हो सके। अगर शिक्षक पढ़ाते समय विद्यार्थियों को यह समझाता है कि उनकी जिंदगी – स्थान, समाज, राष्ट्र और विश्व पर आधारित है तो बालक भी इनकी जरुरत समझने लगेगा। वह इन सभी को अपनेपन की दृष्टि से देखने लगेगा।

लेकिन ऐसा सफलतापूर्वक कर पाने के लिए सामाजिक अध्ययन में इस प्रकार का पाठ्य सामग्री का होना अनिवार्य है।

 

8. विद्यार्थियों को सामाजिक बनाना –

सामाजिक अध्ययन समाज के बारे में सिर्फ पठन-पाठन से ही नहीं अपितु बालक का समाजीकरण करने से भी है। आगे चलकर बालक को इस समाज में ही रहना है। समाज में बेहतर तरीके से रहने के लिए उसे समाज के प्रत्येक इकाई से सम्बन्ध स्थापित करना पड़ेगा।

अगर इन बातों का ध्यान पाठ्यक्रम निर्माण के समय और शिक्षण के दौरान रखा जाए तो यकीनन बालक एक बेहतर नागरिक के रूप में उभरेगा। अगर वह अपना लाभ छोड़कर समाज में भलाई करने वाला इंसान बनता है तो उसे आत्मबल और आत्मसंतुष्टि मिलेगी।

 

इन उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए क्या जरुरी है ?
इन सभी सामाजिक अध्ययन के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए दो बातें अति आवश्यक हैं – 1. उचित पाठ्यक्रम का निर्माण होना और 2. शिक्षक के दिमाग में यह बात हमेशा रहे कि आखिरकार वह जो भी पढ़ा रहा है उसका उद्देश्य क्या है।

 

ये आप जानते हैं – 

1. किशोरावस्था क्या है ?

2. पर्यावरण शिक्षा का क्या अर्थ है ?

3. समूह शिक्षण से आप क्या समझते हैं ?

 

निष्कर्ष – अगर आप पढ़ते-पढ़ते यहाँ तक पहुँच गए हो तो मैं आपको यही बताना चाहूंगा कि अब आप दूसरे 90 % स्टूडेंट्स से आगे निकल गए। अब आप इस टॉपिक को कभी भी नहीं भूलोगे। ये टॉपिक आपके एग्जाम के लिए बहुत जरूरी है क्यूंकि पिछले 5 वर्षों में इस टॉपिक से पाँचों बार प्रश्न पूछे गए हैं।

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