निर्देशन से आप क्या समझते हैं | Nirdeshan Se Aap Kya Samajhte Hain

आज आप बहुत ही महत्वपूर्ण टॉपिक समझने वाले हैं जिसका नाम है – निर्देशन। इस टॉपिक से संबंधित जितने भी महत्वपूर्ण तथ्य हैं उन सभी को मैंने बहुत ही आसान भाषा में समझाया है।

निर्देशन से आप क्या समझते हैं ?
व्यक्ति की समस्या के समाधान के लिए किसी के द्वारा सलाह दिया जाना निर्देशन कहलाता है। मनुष्य एक सामाजिक, बुद्धिमान और विवेकशील प्राणी है। इसी के आधार पर वह संसार के अन्य प्राणियों से बिलकुल अलग है।

बुद्धि के बल पर ही मनुष्य पर्यावरण और अन्य प्राणियों के साथ सामंजस्य स्थापित करता है । सामंजस्य स्थापित करने के लिए वह अपने से बड़े लोगों का सहयोग लेना पड़ता है।

 

इस सहयोग के आधार पर ही वह अपनी समस्याओं के सम्बन्ध में उचित निष्कर्ष निकालने और अपने उद्देश्यों को पूरा करने में सफल होता है।

 

निर्देशन के आधार पर ही व्यक्ति अपनी योग्यताओं, क्षमताओं और कौशलों के बारे में ज्ञान प्राप्त करता है। अपने अंदर निहित क्षमताओं का उचित प्रयोग करके अपने कार्य में सफल होता है।

 

निर्देशन से आप क्या समझते हैं

निर्देशन की परिभाषा :-
निर्देशन वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा मनुष्य अपने समस्याओं का समाधान पारस्परिक संबंधों की सहायता से खुद ढूंढ लेता है। निर्देशन में किसी भी प्रकार का बंधन नहीं होता है और किसी प्रकार का आदेश भी नहीं होता है।

 

निर्देशन व्यक्ति को आत्म दर्शन करने और आत्म शक्ति का समुचित उपयोग करने में मदद करता है।
निर्देशन की सहायता से व्यक्ति की प्रतिभा, योग्यता और बुद्धि में विकास होता है। इसकी मदद से वह अपनी सामाजिक और आर्थिक स्थिति का बेहतर ज्ञान प्राप्त करने में सक्षम होता है।

 

निर्देशन के मुख्य रूप से 6 प्रकार होते हैं : –
1. शैक्षिक निर्देशन – यह निर्देशन शिक्षा के क्षेत्र में दिया जाता है।
2. व्यवसायिक निर्देशन – यह निर्देशन व्यवसाय के क्षेत्र में दिया जाता है।
3. व्यक्तिगत निर्देशन – यह निर्देशन किसी एक व्यक्ति को दिया जाता है।
4. नेतृत्व निर्देशन – यह निर्देशन किसी भी समूह के नेतृत्व करने के लिए दिया जाता है।
5. नैतिक निर्देशन – यह निर्देशन किसी भी व्यक्ति को व्यवहार के लिए दिया जाता है।
6. स्वास्थ्य निर्देशन – यह निर्देशन स्वास्थ्य के लिए दिया जाता है।

 

निर्देशन के बारे में मनोवैज्ञानिकों ने अपने – अपने मत दिए हैं –
कार्टर वी. गुड़ का मानना है कि निर्देशन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें निर्देशन देने वाला व्यक्ति दूसरे के व्यवहार और दृष्टिकोण को प्रभावित करता है और इस तरह उसके कार्य करने और सोचने के अंदाज में बेहतर बदलाव आता है।

 

नैप ने निर्देशन को इस प्रकार परिभाषित किया है – किसी छात्र के बारे में सीखना और जानना, उसे समझने में मदद करना, उसके स्थिति में बदलाव लाना, बुद्धि और विकास में सहायता करना निर्देशन कहलाता है।

 

निर्देशन के सिद्धांत के फायदे :-
निर्देशन का सिद्धांत से केवल प्राप्तकर्ता को सहायता नहीं मिलता है बल्कि उसके परिणामों से पुरे समाज की सहायता होती है।

निर्देशन की विशेषताएं

निर्देशन की प्रकृति एवं विशेषताएं –
1. शैक्षिक सेवा – निर्देशन का अर्थ शिक्षा के क्षेत्र में आने वाली समस्याओं के बारे जानना। वातावरण को संयोजन के रूप में वर्णित करना।

 

2. आत्म-निर्देशन का विकास – निर्देशन द्वारा व्यक्ति आत्मनिर्भर बन जाता है। वह अपने जीवन की समस्याओं का हल स्वयं खोजने में सक्षम हो जाता है।

 

3. जीवन संबंधित योगदान – निर्देशन जीवन में औपचारिक और अनौपचारिक दोनों रूप में अपना योगदान देती है। औपचारिक निर्देशन व्यक्ति को उसके मित्रों व रिश्तेदारों से प्राप्त होता है। अनौपचारिक निर्देशन विद्यालय में संगठित निर्देशन एवं सेवाओं के माध्यम से प्राप्त होता है।

 

4. निरंतर चलने वाली प्रक्रिया – निर्देशन में व्यक्ति पहले स्वयं को समझता है। अपनी अभिरुचि, क्षमताओं तथा अन्य योग्यताओं का अधिक से अधिक प्रयोग करना सीखता है। परिस्थितियों में अपना निर्णय लेने की क्षमता का विकास करता है। यह प्रक्रिया निरंतर चलते रहता है।

 

5. व्यक्तिगत सहायता – निर्देशन भले ही एक समूह को दी जा रही है फिर भी उसके द्वारा विकास एक व्यक्ति विशेष का ही होता है, न की सम्पूर्ण समूह का। इस प्रकार यह व्यक्तिगत सहायता देने वाली प्रक्रिया है।

 

व्यक्तिगत निर्देशन का अर्थ :-
किसी व्यक्ति के व्यक्तिगत जीवन से जुड़ी समस्याओं का समाधान हेतु व्यक्ति का सहायता करना व्यक्तिगत निर्देशन कहलाता है।

 

व्यक्ति का जीवन वर्तमान परिवेश में समस्याओं से अलग नहीं किया जा सकता। जीवन में छोटी-बड़ी समस्याओं को लेकर जटिल समस्याओं एवं परेशानियों का सामना करना ही पड़ता है। उसकी यह समस्या शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, इत्यादि किसी प्रकार का हो सकता है।

 

इन्हीं समस्याओं के कारण उसका जीवन संतोषजनक नहीं होता है, और उसका जीवन कष्टदायक होता चला जाता है। ऐसी स्थिति में उसे निर्देश कर्ता व्यक्तिगत निर्देशन के रूप में सहायता करता है।

 

निर्देशन की मदद से वह व्यक्ति अपने आप को सामंजस्य पूर्ण जीवन जीने के लिए फिर से तैयार कर लेता है। यही प्रक्रिया व्यक्तिगत निर्देशन कहलाती है।

 

व्यक्तिगत निर्देशन के कितने प्रकार होते हैं ?
व्यक्तिगत निर्देशन के 7 प्रकार होते हैं। अगर हम किसी को निम्नलिखित 7 समस्याओं से सम्बंधित किसी भी समस्या के हल ढूंढने में मदद करते हैं तो यह व्यक्तिगत निर्देशन का प्रकार होता है।

 

समस्या इन 7 में से किसी भी प्रकार का हो सकता है और प्रत्येक का निर्देशन अलग-अलग तरह का होता है : –
1. समाज सम्बन्धी समस्या
2. परिवार सम्बन्धी समस्या
3. आर्थिक जीवन सम्बन्धी समस्या
4. स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्या
5. धर्म, चरित्र, आदर्श तथा मूल्यों से सम्बन्धित समस्या
6. संवेगात्मक व्यवहार संबंधी समस्या
7. यौन, प्रेम तथा विवाह सम्बन्धी समस्या

निर्देशन का उद्देश्य क्या है?
निर्देशन का मुख्य उद्देश्य छात्रों हेतु निर्धारित किये गये लक्ष्यों की प्राप्ति करने में निर्देश देना है जिससे छात्र अपने जीवन के लक्ष्य प्राप्त कर सके।

 

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2. समावेशी शिक्षा क्या है ?

 

निष्कर्ष – ये टॉपिक समझने के बाद हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि एक छात्र के चतुर्मुखी विकास के लिए निर्देशन बहुत ही जरुरी होता है। मैंने ये टॉपिक को ऐसे समझाने की कोशिश किया है जिसके बाद आपको ये टॉपिक कठिन नहीं लगेगा।

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