पर्यावरण शिक्षा का अर्थ, परिभाषा, उद्देश्य, आवश्यकता एवं महत्व

आज हमलोग पढ़ने वाले हैं – पर्यावरण शिक्षा का अर्थ, परिभाषा, उद्देश्य, आवश्यकता एवं महत्व। इस टॉपिक को पढ़ाने के लिए मैं आसान और मजेदार भाषा प्रयोग करूँगा। जब तक ये टॉपिक ख़त्म होगा आपका confidence बढ़ जायेगा।

पर्यावरण शिक्षा का अर्थ :-

पर्यावरण शिक्षा मनुष्यों को पर्यावरण की जानकारियों से परिचित कराता है। यह पर्यावरण के समस्याओं का कारण और उसका निवारण का मार्ग ढूंढती है। यह भविष्य में आने वाली कठिनाइयों के बारे में बताती है और इस तरह मनुष्य अपने जीवन में आने वाली समस्याओं से बच जाता है।

 

आज के समय में मानव जाति अपनी मूलभूत आवश्यकताओं को पूर्ति करने के लिए वनों का विनाश बहुत तेजी से कर रहा है। इसलिए अब पर्यावरण शिक्षा का महत्त्व और भी बढ़ गया है।

 

पर्यावरण शिक्षा के माध्यम से पर्यावरण के सभी घटकों के बारे में बताया जाता है। बच्चों को यह भी बताया जाता है अगर पर्यावरण का विनाश हो जाए तो क्या-क्या हो सकता है। पर्यावरण शिक्षा के माध्यम से पर्यावरण के लाभ और पर्यावरण का हमारे जीवन में महत्व के बारे में बताया जाता है।

 

पर्यावरण की शिक्षा की परिभाषा :-

पर्यावरण की शिक्षा बच्चों को पर्यावरण के प्रति अपने दायित्वों के बारे में समझने एवं उनके विचारों को स्पष्ट करने के लिए बताया जाता है। मनुष्य को भौतिक परिवेश के माध्यम से पर्यावरण के बारे में जानने और समझने की जरूरत है। जिससे वह अपने कौशलों का विकास कर सके।

 

हम कह सकते हैं कि यह एक वैसी शिक्षा होती है जिसमें मनुष्य पर्यावरण के प्रति सुरक्षा, संतुलन और प्रबंधन के प्रति जागृत होता है। पर्यावरण के समस्याओं के बारे अवगत कराकर उसके हल खोजने के योग्य बनाया जाता है।

पर्यावरण शिक्षा का महत्व

पर्यावरण शिक्षा का महत्व :-

1. पर्यावरण शिक्षा के फलस्वरूप मनुष्य अपने पर्यावरण के घटकों के बारे में समझ को विकसित कर सकें।
2. यह शिक्षा मनुष्य को उसके सांस्कृतिक और सामुदायिक रूप से पारस्परिक संबंधों के बारे में बताता है।
3. इसमें पर्यावरण की पहचान की जाती है और उसके सुधार के लिए उपाय बताया जाता है।
4. पर्यावरण शिक्षा में पर्यावरण की गुणवत्ता के क्षेत्र में निर्णय लिया जाता है।
5. पर्यावरण शिक्षा में बालकों को खुद प्राकृतिक वातावरण के समस्याओं के बारे में समझने और उसका उपाय खोजने योग्य बनाया जाता है।
6. पर्यावरण के समस्याओं के बारे में बताना, उससे होने वाली समस्याओं का कारण ढूंढना और उसके हल खोजने के लिए मनुष्यों को तैयार करना।
7. पर्यावरण को संतुलित बनाए रखने के लिए प्रेरित करना।
8. पर्यावरण से भविष्य में होने वाली हानियों के बारे में समझ को विकसित करना।
9. सौरमंडल पर पृथ्वी ही एक ऐसा ग्रह है जिस पर मानव जीवन संभव है उसे नष्ट होने से बचने के लिए पर्यावरण शिक्षा जरूरी है।

 

पर्यावरण शिक्षा के प्रकार :-

पर्यावरण शिक्षा दो प्रकार के लोगों के आधार पर वर्गीकृत किया गया है : –

औपचारिक पर्यावरण शिक्षा – औपचारिक पर्यावरण शिक्षा के अंतर्गत छात्र – छात्राएं, कर्मचारी, प्रशासनिक अधिकारी और पर्यावरण के प्रति रुचि रखने वाले लोग आते हैं। ये वर्ग के लोग पहले से पर्यावरण के बारे में थोड़े-बहुत शिक्षित होते हैं।

 

अनौपचारिक पर्यावरण शिक्षा – इस पर्यावरण शिक्षा के अंतर्गत मुख्य रूप से अनपढ़ लोग आते हैं। ऐसे लोगों के अलावा कम पढ़े-लिखे और काम-धंधो करने वाले लोग आते हैं। ऐसे लोगों को पर्यावरण के बारे में शिक्षित करना बहुत ही जरुरी होता है। ताकि वे पर्यावरण के बारे में समझ सके।

 

पर्यावरण शिक्षा की आवश्यकता :-

बहुत पहले पर्यावरण शिक्षा की जरुरत नहीं पड़ती थी क्यूंकि बहुत पहले हमारे पर्यावरण का विनाश भी इतनी तेजी से नहीं हो रहा था। बहुत सारे कारणों से हम अपने आज की जरुरत के लिए अपने भविष्य को खतरे में पहुंचा दिए हैं। इसलिए इस नए युग में पर्यावरण शिक्षा की आवश्यकता पड़ी है।

1. पर्यावरण की समस्याओं से बचने और पर्यावरण की रक्षा के लिए पर्यावरण शिक्षा की आवश्यकता है।
2. पर्यावरण की संतुलन को बनाये रखने के लिए पर्यावरण शिक्षा की आवश्यकता है।
3. पराबैंगनी किरणों को सीधे पृथ्वी पर पड़ने से मृदा की उर्वरक शक्ति समाप्त हो जायेगी इसके लिए पर्यावरण शिक्षा की आवश्यकता है।
4. पर्यावरण में उपस्थित घटकों को सुरक्षित रखने के लिए पर्यावरण शिक्षा की आवश्यकता है।
5. भविष्य में पर्यावरण के विनाश से उत्पन्न होने वाली कठिनाइयों को रोकने के लिए पर्यावरण शिक्षा की आवश्यकता है।

 

पर्यावरण शिक्षा का उद्देश्य :-

1. पर्यावरण शिक्षा का मुख्य उद्देश्य है ऐसे समाज का निर्माण करना जो प्रकृति और जीवों के बारे में अन्तर्सम्बन्धों का सही जानकारी रख सके।
2. पर्यावरण शिक्षा से पर्यावरण के प्रति मनुष्य जागरूक होता है और इस प्रकार वह पर्यावरण के लाभ और हानि के बारे में जान सके।
3. पर्यावरण शिक्षा के माध्यम से छात्र में सामाजिक भावना का विकास होता है। वह पर्यावरण के प्रति अपने कर्तव्यों को समझने लगता है।

 

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पर्यावरण शिक्षा का निष्कर्ष :-
इस टॉपिक को पढ़ने के बाद हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि अगर पर्यावरण शिक्षा आज के छात्रों को दिया जाए तो उनका भविष्य और समाज बेहतर बनेगा। इसी तरह से और भी किसी Topic को समझना चाहते हैं तो आप GurujiAdda.com का मदद ले सकते हैं।

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