साक्षात्कार का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं, प्रकार | Interview Method In Hindi

साक्षात्कार के बारे में डिटेल से पढ़ने के पहले हम साक्षात्कार के अर्थ को आसान भाषा में समझने की कोशिश करते हैं।

साक्षात्कार का अर्थ :-

आमने-सामने या प्रत्यक्ष रूप से। साक्षात्कार का अंग्रेजी शब्द Interview होता है। यह अंग्रेजी के दो शब्दों से मिलकर बना है – Inter और  View. Inter का अर्थ होता है – आंतरिक और View का अर्थ होता है – अवलोकन करना। इस प्रकार साक्षात्कार का शाब्दिक अर्थ होता है – किसी भी व्यक्ति का आंतरिक अवलोकन करना। 

 

जब छात्र को विद्यालय में एडमिशन लेना होता है तो ज्यादातर विद्यालय में साक्षात्कार के माध्यम से एडमिशन लिया जाता है। जॉब देने के समय साक्षात्कार का सहारा लिया जाता है।

साक्षात्कार के माध्यम से छात्र के बैठने का तरीका, बोलने की शैली, उत्तर देने का विश्लेषण और उसके मानसिक शक्ति को परखा जाता है। साक्षात्कार में छात्र से प्रश्न मौखिक और प्रत्यक्ष रूप से पूछे जाते हैं।

 

साक्षात्कार का परिभाषा (Definition) :-

मनोवैज्ञानिक चैपलिन के अनुसार साक्षात्कार आमने-सामने होने वाला वह वार्तालाप है जिसका उद्देश्य तथ्यपूर्ण सूचना प्राप्त करना होता है। गुडे एवं हैट के अनुसार साक्षात्कार मूल रूप से एक वैसी प्रक्रिया होती है जिसमें सामाजिक अन्तः क्रिया होती है।

साक्षात्कार एक व्यवस्थित और प्रत्यक्ष संपर्क की प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया में कम-से-कम दो व्यक्ति किसी सम्बंधित विषय पर एक-दूसरे से वार्तालाप और उत्तर-प्रतिउत्तर करते हैं।

 

साक्षात्कार के अभ्यास सत्र :-

साक्षात्कार देने से पहले हमें अभ्यास करना चाहिए। सबसे पहले वैसे वातावरण को तैयार करना चाहिए जैसा वातावरण साक्षात्कार के समय होता है। वैसे Questions को तैयार करना चाहिए जिस तरह का Questions साक्षात्कार में पूछे जाते हैं। अपनी personality को भी वैसा ही रखना चाहिए जिस तरह से साक्षात्कार देते समय रखते हैं।

 

साक्षात्कार के प्रकार (Type of Interview) :-

रचना और आयोजन की दृष्टि से साक्षात्कार को दो भागों में बांटा गया है। पहला संरचित & प्रमाणित साक्षात्कार और दूसरा असंरचित & अप्रमाणित साक्षात्कार। संरचित & प्रमाणित साक्षात्कार को अंग्रेजी में Structured & Standardized कहते हैं। और असंचरित & अप्रमाणित साक्षत्कार को अंग्रेजी में Unstructured & Non – Standardized कहते हैं।

 

sakshatkar ke prakar

 

साक्षात्कार के प्रकार (Types of Interview) :-
➺ व्यक्तिगत साक्षात्कार – इसमें साक्षात्कारकर्ता एक समय में किसी एक व्यक्ति का ही साक्षात्कार लेता है। यह साक्षात्कार मुख्यतः मौखिक रूप से ही लिया जाता है। इसमें साक्षात्कारकर्ता व्यक्ति के सभी तरह के ज्ञान को परखता है। किसी भी व्यक्ति का सूक्ष्म और पूर्ण जानकारी प्राप्त करना संभव होता है।

लेकिन इस प्रकार के साक्षात्कार में कुछ कमियां भी हैं। व्यक्तिगत साक्षात्कार में समय और पैसे भी काफी खर्च होते हैं। इस साक्षात्कार में पक्षपात होने की संभावना होती है इसलिए यह साक्षात्कार में पारदर्शिता कम होती है।

 

➺ सामूहिक साक्षात्कार – यह व्यक्तिगत साक्षात्कार का ही व्यापक रूप होता है। इसमें साक्षात्कारकर्ता एक समय में बहुत सारे व्यक्तियों का साक्षात्कार लेता है। सामूहिक साक्षात्कार में समय की बचत होती है और पैसे भी कम खर्च होते हैं।

सबसे खास बात यह है कि इस साक्षात्कार में किसी भी तरह का पक्षपात, भेदभाव और घुस लेने-देने की संभावना नगण्य होती है। इसलिए यह साक्षात्कार व्यक्तिगत साक्षात्कार के मुकाबले ज्यादा पारदर्शी होता है।

 

➺ औपचारिक साक्षात्कार – इस साक्षात्कार का दूसरा नाम संरचित साक्षात्कार भी है। अंग्रेजी में इसे Formal Interview कहते हैं। इस साक्षात्कार में सब कुछ पहले से निर्धारित होता है। जैसे – कितने प्रश्न पूछा जाना है, प्रश्न की प्रकृति क्या होनी चाहिए,  समय सीमा क्या है, इत्यादि।

 

➺ अनौपचारिक साक्षात्कार – इस साक्षात्कार को अंग्रेजी में Informal Interview कहते हैं। इस साक्षात्कार में साक्षात्कार के सभी निर्देश पहले से निर्धारित नहीं होते हैं। साक्षात्कारकर्ता पूर्ण रूप से स्वतंत्र होते हैं।

इस विधि में साक्षात्कार किसी भी प्रकार का प्रश्न पूछ सकता है। प्रश्नों की संख्या और प्रकृति पर साक्षात्कार का पूर्ण रूप से नियंत्रण नहीं होता है। इसलिए इसे अनियंत्रित साक्षात्कार भी कहा जाता है।

 

➺ पुनरावृत्ति साक्षात्कार – इस साक्षात्कार के दो अलग-अलग दृष्टिकोण हैं। पहला दृष्टिकोण है – किसी एक व्यक्ति से एक से अधिक बार इंटरव्यू लेना। जैसे किसी नौकरी के लिए 2 या उससे अधिक स्टेज में इंटरव्यू लेना।

दूसरा दृष्टिकोण है – ऐसी सामाजिक घटना के बारे में इंटरव्यू लेना जिस घटना की पुनरावृत्ति हुई हो। जैसे चुनाव के समय का इंटरव्यू।

 

➺ निदानात्मक साक्षात्कार – इस तरह के साक्षात्कार में साक्षातकर्ता छात्र के समस्या के बारे में जानने का प्रयत्न करता है। इस तरह के साक्षात्कार में टीचर छात्र के सभी समस्याओं को लिख लेता है।

 

➺ उपचारात्मक साक्षात्कार – इस साक्षात्कार में निदानात्मक साक्षात्कार के समय छात्र की समस्याओं को हल करने का प्रयास किया जाता है। इन समस्याओं का हल वार्तालाप के माध्यम से किया जाता है।

 

➺ कृत्रिम साक्षात्कार – इसे इंग्लिश में Mock Interview कहते हैं। यह एक प्रैक्टिस इंटरव्यू होता है। मुख्य इंटरव्यू के पहले बहुत सारे कृत्रिम इंटरव्यू में भाग लेना चाहिए। इससे मुख्य इंटरव्यू से डर ख़त्म हो जाता है।

 

साक्षात्कार के उद्देश्य :-
साक्षात्कार कोई आम बातचीत की प्रक्रिया नहीं है बल्कि इसके पीछे एक विशिष्ट उद्देश्य होता है। साक्षात्कार का मुख्य उद्देश्य होता है व्यक्ति का बोलने का तरीका, उत्तर देने का तरीका, उसकी व्यक्तित्व और सोचने की क्षमता को परखना। तत्पश्चात उसे पूर्वनिर्धारित कार्य के लिए चयन करना या न करना।

 

साक्षात्कार तकनीक के तीन चरण (Stages) हैं :-

साक्षात्कार को पूरा करने में विभिन्न चरण से गुजरना पड़ता है। सभी चरण इस प्रकार हैं – साक्षात्कार को अच्छे से प्रारम्भ करना, साक्षात्कार के लिए बालक की नियुक्ति करना, उचित प्रश्न पूछना, अर्थपूर्ण उत्तर प्राप्त करने की चेष्टा करना और लास्ट में साक्षात्कार को अच्छे से समाप्त करना।

i ) Interview लेने से पहले की तैयारी (Preparation before the interview) :-
➺ Interview वैसे जगह पर लेना चाहिए जहाँ शोर-शराबा न हो, ज्यादा गर्मी या ठंड का अहसास न हो, Interview देने वाला व्यक्ति अपने आप को Relax महसूस कर सके ऐसे कोशिश करने चाहिए।

 

इंटरव्यू में प्रश्न किस प्रकार का पूछा जाएगा यह इंटरव्यू लेने वाले के ऊपर निर्भर करता है। इसलिए इसके बारे में आपको थोड़ा बहुत खुद से विचार कर लेना चाहिए।

 

आप अपनी आवश्यकता के मुताबिक कुछ साधनों की मदद लेने का जुगाड़ कर लेना चाहिए। जैसे – टेप रिकार्डर, स्टेनोग्राफी। 

 

ii ) साक्षात्कार लेना (Taking Interview) :-
बच्चे पर विश्वास कर उचित प्रश्नों की मदद से इनफार्मेशन एकत्रित करने का कोशिश करना चाहिए।

 

इसका मुख्य उद्देश्य है कि बच्चे के बारे में जानकारी प्राप्त करना और उनकी सहायता करना। बच्चे के गुण और दोष को अच्छी तरह से ध्यान में रखकर निर्णय लेना चाहिए।

 

इंटरव्यू के समय महत्वपूर्ण बातों को रिकॉर्ड करने का कोशिश करना चाहिए। ऐसा करने से साक्षात्कार का परिणाम निकालने में सुविधा होती है। 

 

बच्चे को अपने विचारों को व्यक्त करने का पूरा अवसर दिया जाना चाहिए।

 

iii ) साक्षात्कार के परिणाम निकालना (Conclusion from Interview) :-
इंटरव्यू के दौरान नोट की गई बातों का जांच सही ढंग से करनी चाहिए। नोट की गई बातों से निष्कर्ष निकालने का कोशिश किया जाना चाहिए।

 

बच्चे के द्वारा दिए गए इंटरव्यू के परिणाम में बेहतर सुधार लाने के लिए उसे सुझाव दिया जाता है। इस तरह से बच्चे में किसी भी तरह की कमी में सुधार लायी जाती है।

 

साक्षात्कार की विशेषताएं (Characteristics of Interview) :-

1. व्यक्तित्व सम्बन्धी विशेषताएं :- साक्षात्कार लेने वाला व्यक्ति शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ होते हैं। वे साक्षात्कार देने वाले व्यक्ति का ज्ञान, सोच, धैर्य, और योग्यता को परखने में निपुण होते हैं। इस प्रक्रिया के दौरान साक्षात्कार देने वाले व्यक्ति को अच्छे तरीके से जांचा जाता है।

 

2. साक्षात्कार लेने के ठीक तरीके का ज्ञान (Proper knowledge of the Interview Technology) – इस प्रक्रिया के दौरान साक्षात्कारकर्ता को इंटरव्यू लेने की सभी जानकारी पहले से पता होता है। जैसे – किस प्रकार के प्रश्न पूछने हैं, प्रश्न के माध्यम से व्यक्ति का व्यक्तित्व कैसे जानना है, व्यक्ति से किसी घटना का सुचना कैसे निकलवाना है, इत्यादि।

 

3. इस विधि में Interview लेने वाले को मनोवैज्ञानिक विषय के बारे में जानकारी भी होना चाहिए। ताकि Interview देने वाले व्यक्ति के मन में उत्पन्न होने वाले भावनाओं और व्यवहार को सही तरह से जांच कर अपना विचार बना सके।

 

4. Interview की प्रक्रिया दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच की आपसी वार्तालाप की प्रक्रिया होती है।

 

5. Interview के दौरान प्रारंभिक सम्बन्ध बनते हैं। अगर इंटरव्यू टीचर खुद ही ले रहे हैं तो उन बच्चों का चेहरा मस्तिष्क में बैठ जाता है जिन्होंने इंटरव्यू के दौरान अच्छा परफॉर्मेंस किया है।

 

6. इस विधि में व्यक्ति के सामाजिक समस्याओं को जानने के लिए जानकारी एकत्रित किया जाता है। और एकत्रित किए गए जानकारी के माध्यम से उन समस्याओं का हल ढूंढा जाता है।

 

साक्षात्कार के उदाहरण :-
जब हम जॉब के लिए जाते हैं तो वहां के सीनियर के द्वारा पूछे गए प्रश्नों का उत्तर सही तरह से बताना चाहिए। हमारे द्वारा बताए गए उत्तर से सीनियर अगर संतुष्ट हो जाते हैं तो वह हमें जॉब के लिए रख लेते हैं। यह साक्षात्कार का एक उदाहरण है।

साक्षात्कार के दौरान दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच किसी पूर्वनिर्धारित विषय पर उत्तर प्रति-उत्तर और वार्तालाप होती है।

 

साक्षात्कार विधि के गुण (Merits of Interview Method) :

लिखित परीक्षा में किसी प्रश्न का उत्तर बच्चे खाली भी छोड़ देते हैं जिससे टीचर को पता ही नहीं चलता है कि बच्चे ने ज्ञान के अभाव में ऐसा किया है या समय के अभाव में।

लेकिन इंटरव्यू में प्रत्येक प्रश्न का उत्तर देना होता है। अगर किसी प्रश्न का उत्तर वह नहीं देता है तो पता चल जाता है उसे उस प्रश्न के उत्तर का ज्ञान नहीं है।

इस विधि में व्यक्ति का सम्पूर्ण व्यक्तित्व का पता चल जाता है।

इस विधि में प्रश्नों की संख्या परिस्थिति के अनुसार बढ़ाया या घटाया भी जा सकता है।

इस विधि में साक्षात्कारकर्ता सिर्फ घटना स्थल पर स्वयं जाकर उसका जाँच-पड़ताल नहीं करता है। बल्कि वहां जाने पर व्यक्ति के सामाजिक स्थिति के बारे में भी जानकारी प्राप्त करता है।

➺ कुछ प्रश्नों का उत्तर लिखित रूप में देना मुश्किल होता है। लेकिन इस विधि में उसी प्रश्नों का उत्तर मौखिक रूप से देना आसान हो जाता है। इसलिए किसी के ज्ञान को जानने के लिए यह एक आसान प्रक्रिया होती है।  

साक्षात्कार एक ऐसी विधि है जिसमें परिस्थिति के अनुसार बदलाव लाया जा सकता है। इस प्रक्रिया के दौरान किसी खास टॉपिक को लेकर आगे बढ़ा जा सकता है। इसकी प्रकृति लचीलापन होने के कारण पूर्वनिर्धारित सीमा में थोड़ा-बहुत चेंज लाया जा सकता है। 

साक्षात्कार विधि में सिर्फ किसी घटना का ही विश्लेषण नहीं किया जाता है बल्कि उस घटना से संबंधित सभी व्यक्ति और परिस्थिति का भी विश्लेषण किया जा सकता है। 

इस विधि में इंटरव्यू लेने वाला और इंटरव्यू देने वाला के मध्य दोस्ती की भावना भी उत्पन्न होती है।

इस विधि में वार्तालाप के माध्यम से कुछ बच्चे और अशिक्षित व्यक्ति भी उत्तर दे सकते हैं।

 

साक्षात्कार निर्देशिका क्या है ?

अनौपचारिक साक्षात्कार में साक्षात्कार लेने वाले सुचना लेने के लिए कुछ पॉइंट्स के ऊपर साक्षात्कार देने वाले को बताने के लिए कहता है। इन पॉइंट्स को साक्षात्कार निर्देशिका कहा जाता है।

 

साक्षात्कार विधि के गुण और दोष

 

साक्षात्कार विधि की कमियां / दोष (Demerits of Interview method) :-

कभी-कभी साक्षात्कार के लिए साक्षात्कारकर्ता योग्य और ट्रेंड नहीं मिल पाते हैं।

यह विधि समय और पैसे की दृष्टि से काफी खर्चीला होता है।

➺ इस विधि में बालक के ऊपर नकारात्मक विचार का दबाव बना रहता है।

➺ इस विधि में साक्षात्कारकर्ता के द्वारा अज्ञात प्रश्न पूछने से बालक के अंदर डर और भय बना रहता है।  

➺ इस विधि में कभी-कभी जाती और लिंग के बीच भेदभाव देखने को भी मिलता है।

 

कुछ परिस्थिति में साक्षात्कार की प्रकृति बनावटी बन जाती है। ऐसे स्थिति में बच्चे अपने मन की भावना को छुपाने में सफल हो जाते हैं।

साक्षात्कार को सफलतापूर्वक पास करने के लिए कौन सा कौशल आवश्यक है ?
किसी भी साक्षात्कार को अच्छे से पास करने के लिए हमें मुख्यतः दो कौशल पर अत्यधिक ध्यान देना चाहिए। पहला – मौखिक रूप से अपने विचार को स्पष्ट रूप से व्यक्त करना और दूसरा – अपने अंदर और बाहर के व्यक्तित्व में आत्मविश्वास लाना।

 

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साक्षात्कार का निष्कर्ष (Conclusion) :-
इस पुरे टॉपिक को पढ़ने के बाद हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि साक्षात्कार को कई आधारों पर वर्गीकृत किया जाता है। किसी व्यक्ति को कम समय में बेहतर तरीके से जानने का यह सर्वोत्तम तरीका होता है।

अगर मॉडर्न टेक्नोलॉजी का उपयोग साक्षात्कार में हमेशा किया जाए तो साक्षात्कार प्रक्रिया और भी सुविधाजनक बन जायेगा।

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