समावेशी शिक्षा क्या है | Samaveshi Shiksha Kya Hai

समावेशी शिक्षा क्या है ( Samaveshi Shiksha Kya Hai ) ?
समावेशी शिक्षा का अर्थ होता है विशिष्ट क्षमता वाले बालक और सामान्य बालकों को एक ही विद्यालय में एक ही कक्षा में एक साथ शिक्षा प्रदान करना।


विशिष्ट क्षमता वाले बालक का तात्पर्य वैसे बालक से है जो या तो मंदबुद्धि हो या अपाहिज ( विकलांग ) हो या दोनों हो। समावेशी शिक्षा की शुरुआत अमेरिका से हुई थी।

 

समावेशी शिक्षा = विशिष्ट बालक + सामान्य बालक

 

समावेशी शिक्षा के द्वारा सर्वप्रथम छात्रों के बौद्धिक स्तर की जाँच की जाती है, तब उनके शिक्षा का स्तर निर्धारित किया जाता है।

 

समावेशी शिक्षा के प्रकार : –
शारीरिक एवं विकलांग बालक :-
शारीरिक एवं विकलांग बालक के 4 भाग होते हैं – दृष्टि बाधित + श्रवण बाधित + वाक् बाधित + अस्थि बाधित।

 

दृष्टि बाधित – दृष्टि बाधित में बालक को दिखाई नहीं देती है।

 

श्रवण बाधित – श्रवण बाधित में बालक को सुनाई बहुत कम देती है।

 

वाक् बाधित – वाक् बाधित में बालक को बोलने में दिक्कत होती है। अर्थात जो बोल नहीं सकता है।

 

अस्थि बाधित – अस्थि बाधित में बालक शारीरिक रूप से  विकलांग होता है।

 

अधिगम अक्षमता :- अधिगम अक्षमता में वैसे बालक आते हैं जिसे पढ़ने, लिखने और बोलने में दिक्कत होती है।

 

वैसे बालक जो अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, निर्धन और पिछड़े वर्ग के बच्चे आते हैं उन्हें एक ही विद्यालय में सामान्य शिक्षा देना समावेशी शिक्षा कहलाती है।

 

अर्थात वैसा शिक्षा जो धर्म, जाति, लिंग, समाज, परिवार के आधार पर बिना भेदभाव के एक ही विद्यालय में शिक्षा देना समावेशी शिक्षा कहलाती है।

 

समावेशी शिक्षा की आवश्यकता, विशेषताएं और महत्व :-

1. समावेशी शिक्षा में प्रत्येक बालक की व्यक्तिगत शक्तियों का विकास होता है।

2. समावेशी शिक्षा के अंतर्गत शारीरिक रूप से बाधित बालक भी सामान बालकों के साथ शिक्षा ग्रहण करता है।

3. समावेशी शिक्षा सामाज में अपंग तथा सामान्य बालकों के बीच एक दूसरे के प्रति सहायता की भावना उत्पन्न करने में सहायक होता है।

4. समावेशी शिक्षा के अंतर्गत बच्चों को पढ़ने में कम खर्चा होता है। 

5. समावेशी शिक्षा व्यवस्था के अंतर्गत असमर्थ बच्चों में भाईचारा और प्यार जैसे सामाजिक गुणों का विकास होता है।

 

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समावेशी शिक्षा का उदेश्य :-
समावेशी शिक्षा शारीरिक रूप से अक्षम बालकों की शिक्षण समस्याओं की जानकारी प्रदान करना।

 

समावेशी शिक्षा बालकों की अधिगम अक्षमता को पता लगाकर उनको दूर करने का प्रयास करना।

 

समावेशी शिक्षा बालकों की सीखने की समस्याओं को ध्यान में रखकर कार्य करने की अलग – अलग विधियों द्वारा बच्चों को शिक्षा प्रदान करना।

 

समावेशी शिक्षा में ऐसे शिक्षकों की नियुक्ति की जाए जो विशिष्ट एवं सामान्य बालकों को एक साथ पढ़ने में सक्षम हो।

 

समावेशी शिक्षा में वैसे बच्चे जिनका घर विद्यालय से बहुत दूर है उसके लिए छात्रावास का भी प्रबंध करना चाहिए।

 

समावेशी शिक्षा की अवधारणा :-
प्रत्येक बालक में कुछ ऐसे गुण होते हैं जो जन्मजात पाए जाते हैं। ये गुण अनुवांशिकता से सम्बंधित भी हो सकते हैं। इन्हीं गुणों के आधार पर ही बालकों का शैक्षिक स्तर निर्भर करता है।

 

समावेशी शिक्षा की प्रकृति : –
समावेशी शिक्षा में सभी बच्चे एक ही कक्षा में, एक ही स्कूल में, एक साथ पढ़ते हैं।

 

समावेशी शिक्षा के सिद्धांत :-
समावेशी शिक्षा के सिद्धांत यह बताता है कि एक सामान्य अध्यापक का दायित्व बनता है कि अपनी कक्षा में सभी प्रकार के बच्चों के लिए मार्गदर्शक बने। अध्यापक का यह भी दायित्व बनता है कि बच्चा कक्षा के अंदर हो या बाहर।

 

समावेशी शिक्षा के गुण :- 

समावेशी शिक्षा के अंतर्गत विकलांग बच्चों को सामान्य बच्चों के साथ मानसिक रूप से आगे बढ़ने का मौका मिलता है। इससे बच्चों में सामाजिक तथा नैतिक गुणों का समावेश होता है।

 

समावेशी शिक्षा के दोष :-
समावेशी शिक्षा में प्रतिभाशाली बच्चों को अधिगम सामग्री, अभ्यास पुस्तिका आदि की जरुरत होती है। अधिकांश विद्यालयों में समावेशी बच्चों के शिक्षण हेतु पढ़ाने में सहायक सामग्री तथा साधन उपलब्ध नही होते हैं ।

 

समावेशी शिक्षा के लाभ :-
समावेशी शिक्षा अक्षम बालकों की शिक्षा के लिए  एक बेहतर अवसर प्रदान करता है।

समावेशी शिक्षा में भेदभाव, छुआ छूत नहीं किया जाता है। जिससे सभी प्रकार के बच्चें एक साथ शिक्षा ग्रहण करते हैं।

समावेशी शिक्षा में लघु समाज का निर्माण होता है। जिससे सभी प्रकार के बच्चों का बेहतर विकास होता है।

 

समावेशी शिक्षा से सम्बंधित Important Questions ( FAQ ) : – 

Ques – समावेशी शिक्षा कब लागू हुई थी ?
Ans – समावेशी शिक्षा 19वीं शताब्दी में लागू हुई थी।

 

Ques – भारत में समावेशी शिक्षा कब शुरू हुई थी ?
Ans – भारत में समावेशी शिक्षा 1987 में शुरू हुई थी। 

 

Ques – समावेशी शिक्षा के प्रवर्तक कौन थे ?
Ans – समावेशी शिक्षा के प्रवर्तक डॉ. माइकेल सैडलर थे।

 

Ques – समवेशी शिक्षा को English में क्या कहते हैं ?
Ans – समवेशी शिक्षा को English में Inclusive Education, Integrated Education कहते हैं।

 

Ques – समावेशी शिक्षा किस देश में शुरू हुई थी ?
Ans – समावेशी शिक्षा कनाडा और अमेरिका देशों में शुरू हुई थी।

 

Ques – समावेशी शिक्षा क्या तात्पर्य है ?
Ans – समावेशी शिक्षा के अंतर्गत शारीरिक रूप से बाधित बालक तथा सामान्य बालक एक साथ कक्षा में शिक्षा ग्रहण करते हैं।  

 

समावेशी शिक्षा का निष्कर्ष :- समावेशी शिक्षा में विशिष्ट और सामान्य बालक को एक साथ, एक ही कक्षा, एक ही शिक्षक के द्वारा शिक्षा दिया जाता है। समावेशी शिक्षा में भेदभाव, छुआ छूत नहीं किया जाता है।

 

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