समूह शिक्षण क्या है | विशेषता | सिद्धांत | लाभ | प्रकार

अगर आप जानना चाहते हैं कि समूह शिक्षण क्या है तो आप यहाँ पर इस टॉपिक को आसान भाषा में सीखने के लिए तैयार हो जाएँ। इसके साथ ही हम यहाँ पर पढ़ने वाले हैं इसकी विशेषता, लाभ, सिद्धांत और प्रकार।

समूह शिक्षण का अर्थ और परिभाषा : –
समूह शिक्षण को परिभाषित करने के लिए विद्वानों ने अपने अलग-अलग मत दिए हैं। यहाँ पर मैंने समूह शिक्षण के अर्थ समझाने में 3 परिभाषा की मदद लिया है।

कार्लो ओलसन के अनुसार समूह शिक्षण एक ऐसी स्थिति है जिसमें दो या दो से अधिक शिक्षक विद्यार्थियों को किसी एक समूह के लिए कार्य करने की रूपरेखा को तैयार करते हैं। और ये अपने कुशल ज्ञान के माध्यम से कमजोर समय सारणी में बदलाव करते हैं। जिसे शिक्षा व्यवस्थित ढंग से दिया जाता है।

डेविड वार्विक के अनुसार समूह शिक्षण एक प्रकार की कार्य करने का ढंग है। जिसमें शिक्षक अपने विद्यार्थियों को जरूरत के मुताबिक विद्यालय की देखरेख का कार्य करने की नियम बनाते हैं। उस बनाये गए नियम को लागू करने के लिए संसाधनों, अभिरुचियों और दक्षताओं का संग्रह करते हैं।

शिक्षा विश्वकोश में समूह शिक्षण का अर्थ – यह शिक्षण का ऐसा रूप है जिसमें दो या दो से अधिक शिक्षक लगातार अपने उद्देश्य को पूर्ण करने के लिए किसी एक छात्र के समूह का आयोजन करते हैं। छात्र समूह के आयोजन के जांच के लिए शिक्षक अपनी जिम्मेदारी समझते हैं।

समूह शिक्षण की विशेषता :- 

1. समूह शिक्षण सोच समझकर बनाई गई एक योजना होती है। यह नियमित रूप से दी जाने वाली शिक्षा नहीं होती है।

2. इस शिक्षण में दो या दो से अधिक अध्यापक हिस्सा लेते हैं।

3. समूह शिक्षण संगठन पर निर्भर होता है। इसमें भाग लेने वाले सभी शिक्षक अपने संसाधनों, योग्यताओं और अनुभवों का प्रयोग करते हैं।

4. इस शिक्षण में शिक्षक आपस में मिलकर वर्तमान समय में आने वाले परिस्थितियों ध्यान में रखकर नयी रूपरेखा को तैयार करते हैं और उसका जांच भी करते हैं।

5. इस प्रक्रिया में विद्यार्थी और विद्यालय के कुछ निर्धारित नियमों के अलावा मौजूद संसाधनों पर भी नजर रखे जाते हैं।

6. इस शिक्षण में एक विषय के किसी एक टॉपिक के ऊपर दो या दो से अधिक शिक्षक अलग-अलग भागों को बारी-बारी से समझाने का प्रयास करते हैं।

7. इस शिक्षण में शिक्षकों के मध्य की दूर होती है।

8. समूह शिक्षण प्रक्रिया में लक्ष्य से जुड़ी हुई सभी जिम्मेदारियों का पालन किया जाता है। इसका जिम्मेदारी किसी एक शिक्षक के ऊपर नहीं होता है।

समूह शिक्षण के उद्देश्य : –

1. इस प्रक्रिया में शिक्षकों की अभिरुचियों, योग्यताओं, दक्षताओं और अनुभवों का उचित इस्तेमाल करना होता है।
2. इस शिक्षण में विद्यार्थियों के मन के अनुकूल और क्षमता के अनुरूप कक्षा शिक्षण को प्रभावशाली बनाना होता है।
3. शिक्षण की गुणवत्ता पूर्ण जो प्रक्रिया है उसमें सुधार लाना।
4. अधिगम की प्रक्रिया में सहायता की भावना का विकास करना।
4. शिक्षण प्रक्रिया से जुड़ी हुई जिम्मेदारियों की भावना का विकास करना।
5. नीच स्तर शिक्षण की संभावना को कम करना।

समूह शिक्षण के सिद्धांत : –

1. समय घटक – इस शिक्षण में समय सीमा का निर्धारण विषय के आधार पर किया जाता है।

2. शिक्षण का स्तर – इस प्रक्रिया में विद्यार्थियों को शिक्षा देने से पहले उनके प्रारंभिक व्यवहार का जांच कर लिया जाता है। और उसी के आधार पर आगे की शिक्षा के स्तर का निर्धारण किया जाता है। यही शिक्षा समूह शिक्षण का बुनियाद होता है।

3. आकार एवं संयोजन – इसमें लक्ष्य के अनुरूप कक्षा के आकार का निर्धारण किया जाता है। इसे उदाहरण के माध्यम से समझने का प्रयास करेंगे – समूह शिक्षण का उद्देश्य है कि छात्रों को विषय से संबंधित समस्याओं को दूर करना। समस्या उन ही छात्रों की दूर की जाएगी जिनकी समूह की समस्या एक जैसी होगी।

4. निरीक्षण – समूह शिक्षण का मुख्य उद्देश्य है कि शिक्षक अपने ज्ञान की कुशलता के आधार पर किसी विषय के बारे में पूर्ण रूप से ज्ञान को प्रदान करना होता है। निरीक्षण की समय सीमा समूह शिक्षण के लक्ष्यों पर आधारित होती है।

5. दल के अध्यापकों का कार्य निर्धारण – इस शिक्षण में दल के शिक्षकों के कार्यों और जिम्मेदारियों का विभाजन उचित होता है। यह विभाजन शिक्षक की शैक्षिक योग्यता और व्यक्ति के गुणों के आधार पर किया जाता है।

अब हम बात करते हैं कि इस विधि में शिक्षक पढ़ाएंगे कैसे। उदाहरण के रूप में एक विषय को पढ़ाने के लिए 3 शिक्षक हैं। पहला शिक्षक उस विषय का सिद्धांत पढ़येंगे तो दूसरा उस विषय का उदाहरण समझायेंगे और तीसरा उस विषय का करंट मुद्दे पर चर्चा करेंगे।

समूह शिक्षण के प्रकार
समूह शिक्षण के प्रकार
समूह शिक्षण के प्रकार :- 
1. एक ही विषय के शिक्षकों का ग्रुप – इस प्रकार का शिक्षण माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालय में देखने को मिलते हैं। इसमें एक विषय के लिए बहुत सारे शिक्षक होते हैं।

इस प्रकार का शिक्षण इंग्लैंड और अमेरिका में सबसे ज्यादा देखने को मिलते हैं। इंग्लैंड और अमेरिका ने विज्ञान, अंग्रेजी और सामाजिक विज्ञान जैसे विषयों पर प्रयोग सबसे ज्यादा बार किया है।

2. एक विद्यालय के विभिन्न विषयों के शिक्षकों का दल – यह संस्था प्रशिक्षित शिक्षकों का एक समूह होता है। इसमें मनोविज्ञान, दर्शनशास्त्र और सांख्यिकी विभागों से बीएड और एम एड करने वाले छात्रों को बुलाया जाता है।

3. अलग-अलग स्कूल के एक ही विषय के टीचर का ग्रुप – इस प्रकार का शिक्षण वैसे गांव में संभव है जहाँ 6 से 8 विद्यालय उस गांव के आस-पास हो। गाँव और शहर के अधिकांश विद्यालय में शिक्षक की कमी रहती है।

अगर सभी विद्यालय के शिक्षक मिलकर अलग-अलग विषयों का अलग-अलग समूह बना लेते हैं तो वह अपने आस-पास के विद्यालय में जाकर छात्रों को शिक्षा दे सकते हैं। अगर सभी शिक्षक अपनी कौशल के माध्यम से विषय को पढ़ाते हैं तो छात्रों को काफी फायदा होगी।

समूह शिक्षण के लाभ : –

  • समूह शिक्षण विधि में पढ़ाई की गुणवत्ता उच्च कोटि की होती है।
  • बच्चे एक ही जगह पर एक विषय को 2 या 2 से अधिक शिक्षकों से समझते हैं। इससे किसी टॉपिक को समझना आसान हो जाता है।
  • किसी भी टॉपिक को इतना विस्तार से समझाया जाता है कि बच्चे इसको जीवन भर नहीं भूलते हैं।

 

समूह शिक्षण विधि के दोष : –

  • आज के समय में ज्यादा ट्रेंड टीचर नहीं मिल पाते हैं। लेकिन इस विधि में पूर्णतः ट्रेंड टीचर चाहिए।
  • वैसे तो यह विधि ठीक है लेकिन इस विधि से सभी सब्जेक्ट्स और टॉपिक्स को समझा पाना मुश्किल है। इस विधि को अपनाने में बहुत ज्यादा प्लानिंग की जरुरत होती है। ऐसा हमेशा कर पाना बहुत आसान नहीं होता है।
  • इस शिक्षण की विधि में अन्य दूसरे विधि के तुलना में समय ज्यादा लगती है।
  • इसलिए इस विधि को हम शिक्षण में व्यापक रूप से इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं।

 

समूह शिक्षण विधि (FAQ) : –
1. समूह शिक्षण विधि को इंग्लिश में क्या कहते हैं ?
Ans ➺ Team Teaching Method या Group Teaching Method

2.समूह शिक्षण सामान्य शिक्षण से किस प्रकार भिन्न है ?
Ans ➺ समूह शिक्षण में एक विषय को 2 या 2 से अधिक शिक्षक होते हैं वहीं सामान्य शिक्षण में 1 विषय को पढ़ाने के लिए 1 शिक्षक होते हैं।

3. समूह शिक्षण के अन्य नाम क्या हैं ?
Ans ➺ समूह शिक्षण के अन्य नाम हैं – टीम शिक्षण, सहकारी शिक्षण, सहकर्मी शिक्षण।

4. समूह शिक्षण का विकास किसने किया ?
Ans ➺ समूह शिक्षण का विकास अमेरिका के मिसीगन और हार्वे ने किया था।

निष्कर्ष – अंत में हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि समूह शिक्षण विधि में अगर कुछ अन्य सुधार लाया जाए तो यह भारत में शिक्षण को निश्चित तौर पर अगले चरण पर पहुंचा देगी। कुछ कमियां के बावजूद जिस-जिस विषय में इसे अपनाया जाता है शिक्षण विधि को आसान बना देता है।

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