सूझ या अन्तर्दृष्टि का सिद्धांत ( Sujh Ya Antardrishti Ka Siddhant ) – Gestalt Theory – सूझ एक ऐसी मानसिक स्थिति होती है, जिसकी सहायता से हम किसी समस्या का समाधान करते हैं। और Gestalt एक जर्मन भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ होता है – समग्रवाद या पूर्णकार।
व्यक्ति समस्या के समाधान हेतु भिन्न – भिन्न तरीकों से परिस्थिति का अवलोकन करता है और उसमें अचानक सूक्ष आ जाती है। और इसके लिए अभ्यास की जरूरत नहीं होती है। सीखने वाले व्यक्ति में सूझ उत्पन्न होते ही वह सही अनुक्रिया करता है और सीख लेता है। समस्या समाधान के लिए व्यक्ति में नया विचार आता है और यह नया विचार ही सूझ कहलाता है।
सूझ या अंतर्दृष्टि के सिद्धांत का प्रतिपादन सन 1911 ई० में मैक्स वर्दीमर ने किया था, जो कि एक ऑस्ट्रो-हंगेरियन मनोवैज्ञानिक थे। इसके बाद सन 1916 में इस सिद्धांत में कोहलर ने प्रयोग किये। कोहलर जर्मनी के निवासी थे। इस सिद्धांत में सुल्तान नाम के वनमानुष पर प्रयोग किये गए।
सन 1920 ई० में कोफ्फा की पुस्तक “Theory of Gestalt” प्रकाशित हुई। इसी book से सूझ व अंतर्दृष्टि के सिद्धांत को प्रसिद्धि प्राप्त होती है।
कोहलर के प्रयोग :–
सूझ या अंतर्दृष्टि सिद्धांत को सिद्ध करने के लिए कोहलर ने जो प्रयोग किये वह वनमानुष पर 4 चरणों में किये गए –
1. प्रथम चरण में वनमानुष को एक पिंजरे में बंद कर दिया गया, और कुछ ऊंचाई पर केले लटका दिए जाते हैं। इस पिंजरे में एक डिब्बा (box) भी डाल दिया जाता है। वनमानुष केले खाने के लिए उन्हें हाथ बढ़ाकर तोड़ना चाहता है, लेकिन उसके हाथ वहां तक नहीं पहुंचते हैं। उसके बाद वह पिंजरे में रखे हुए डिब्बे पर चढ़कर केले तोड़ लेता है। अर्थात बॉक्स पर चढ़कर केले तोड़ने में उसकी सूझ का उदाहरण है।
2. दूसरे चरण में केले ज्यादा ऊंचाई पर लटकाए जाते हैं। और इस बाद पिंजरे में दो 2 बॉक्स रख दिए जाते हैं। वह पुनः हाथ बढ़ाकर केले तोड़ना चाहता है, लेकिन नहीं पहुंच पाता। उसके बाद वह एक बॉक्स के ऊपर चढ़कर कोशिश करता है, लेकिन कामयाब नहीं होता। अंत में वह दोनों बॉक्स को रखकर केले तोड़ लेता है।
3. तीसरे चरण में केलों को पिंजरे के बाहर कुछ दूरी पर रखा जाता है, लेकिन इस बार पिंजरे में एक छड़ी रखी जाती है। वनमानुष हाथ निकालकर केले लेना चाहता है, लेकिन उसके हाथ वहां तक नहीं पहुंचते। फिर वह सम्पूर्ण परिस्थिति को समझता है, और छड़ी को उठाकर उससे केलों को खिसकाकर उठा लेता है।
4. चौथे चरण में केलों को पिंजरे के बाहर ज्यादा दूरी पर रखा जाता है। इस बार पिंजरे में 2 दो जुड़ने वाली छड़ी रखी जाती हैं। वह हाथ निकालकर केले लेने की कोशिश करता है, और कामयाब नहीं होता। उसके बाद एक छड़ी से प्रयास करता है, और अंत में दोनों छड़ियों को जोड़कर केलों को खिसकाकर उठा लेता है।
इस प्रयोग द्वारा गेस्टाल्ट वादियों ने यह स्पष्ट किया कि कोई भी व्यक्ति अधिगम हेतु प्रयास एवं त्रुटि नहीं करता अपितु मानसिक शक्तियों का प्रयोग करते हुए अधिगम करता है।
अर्थात इस प्रकार से समग्रवादी बताते हैं, की कोई जानवर, बालक या मनुष्य है वह पहले समस्या को पूरी तरह से समझता है उसके बाद वह समस्या का समाधान करता है। इसी को सूझ का सिद्धांत कहा जाता है।
सूझ सिद्धांत के द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में पूर्ण से अंश की ओर शिक्षण सूत्र का जन्म हुआ। इस सिद्धांत से समस्या – समाधान विधि एवं विश्लेषण विधि का जन्म हुआ।
गेस्टाल्ट वादियों के कथनानुसार अंतर्दृष्टि का सिद्धांत 5 संप्रत्यय के आधार पर कार्य करता है जो इस प्रकार से है : –
1. लक्ष्य ( Goal )
2. बाधा ( Obstructions )
3. तनाव ( Tension )
4. संगठन ( Organisation )
5. पुनरुत्थान ( Re – organisation )
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सूझ के सिद्धांत के अन्य नाम :–
1. गेस्टाल्ट सिद्धांत
2. अंतर्दृष्टि का सिद्धांत
3. समग्रवादी सिद्धांत
4. पूर्णकार सिद्धांत
5. पूर्ण से अंश की और सिद्धांत
6. तात्कालिक ज्ञान का सिद्धांत
सूझ के सिद्धांत के महत्व :–
1. इसमें समस्या का पूर्ण रूप से प्रस्तुतिकरण होता है।
2. यह कठिन विषयों के लिए उपयोगी साबित होता है।
3. यह रचनात्मक कार्यों के लिए उपयोगी है।
4. यह सिद्धांत बालकों को स्वयं खोज करके सीखने में मदद करता है।
सूझ प्रक्रिया द्वारा सीखने की विशेषता :-
1. सीखने की प्रक्रिया सूझ पर आधारित
2. उपस्थित समस्या का ढंग से निरीक्षण
3. निर्देशित ध्यान तथा अन्वेषणात्मक व्यवहार
4. निष्क्रियता की अवस्था
5. सूझ का अचानक आगमन
6. सूझ द्वारा सीखने की जांच
सिद्धांत की सीमाएं :-
1. वैज्ञानिकों का मानना है कि छात्र कोई विषयवस्तु अचानक नहीं अपितु धीरे – धीरे सीखते हैं।
2. इसमें सिर्फ सूझ पर बल परन्तु सीखने में अभ्यास तथा अनुभूति का भी योगदान होता है। छोटे शिशु सूझ से नहीं सीख पाते अपितु अधिकतर रट कर सीखते हैं।
शैक्षिक महत्त्व : –
1. छोटे बालकों जिनकी बुद्धि का पूर्ण विकास नहीं हो जाता है, वे प्रयास व त्रुटि के सिद्धांत से सिखाते हैं, लेकिन किशोर जिनकी बुद्धि में पूर्ण विकास हो जाता है वे सूझ व अंतर्दृष्टि के द्वारा ही सिखाते हैं।
2. पूर्ण से अंश की ओर शिक्षण सूत्र सूझ सिद्धांत की देन है।
3. अध्यापक को चाहिए वह बालकों को समस्या का पूरा ज्ञान कराए। यदि समस्या के प्रति ज्ञान अपूर्ण हैं, तो अंतर्दृष्टि नहीं हो सकती।
4. पाठ्यक्रम का निर्माण करने से सहाय
5. यह सिद्धांत बालक के रटने की प्रस्तुति का विरोध करता है
6. कठिन विषय के लिए उपयोगी
सूझ या अन्तर्दृष्टि का सिद्धांत से संबंधित कुछ अन्य रोचक जानकारियां : –
सूझ का सिद्धांत कोहलर ने दिया था। कोहलर का पूरा नाम वोल्फगैंग कोहलर है। 1959 में कोल्हर ने एक बुक लिखी थी जिसका नाम गेस्टाल्ट साइकोलॉजी था। इसी बुक में कोल्हर ने अन्तर्दृष्टि का सिद्धांत के बारे में बताया था।
सूझ का सिद्धांत को English में हम Insight Learning कहते हैं। इस सिद्धांत को English में Gestalt Theory भी कहते हैं। और हिंदी में इसका अन्य नाम अंतर्दृष्टि का सिद्धांत भी है।
गेस्टाल्टवाद का कहना था कि जब तक समस्या दिखाई नहीं पड़ती तब तक हल नहीं होगा।
जर्मनी में गेस्टाल्ट संप्रदाय का उदय 1920 में हुआ था। गेस्टाल्ट संप्रदाय में कुल 3 व्यक्ति थे – 1. मैक्स वर्दीमर 2. कोहलर 3. कोफका
Conclusion : – सूझ के सिद्धांत को अब आप detail में पढ़ लिए हैं। अब इस topic से 1 भी Question exam में गलत नहीं होगा। इसी तरह से और भी topics जो आपको hard लगता है उसे GurujiAdda.COM वेबसाइट से जरूर पढ़ें।