मैंने इस टॉपिक में भारत के उपराष्ट्रपति के बारे में बहुत ही आसान भाषा में समझाया है। इस टॉपिक में भारत के उपराष्ट्रपति के मुख्य बिन्दुओं पर सबसे ज्यादा फोकस किया गया है।
भारत के उपराष्ट्रपति : –
भारतीय संविधान में उपराष्ट्रपति से संबंधित प्रावधान अमेरिका के संविधान से लिया गया है। हमारे संविधान में उपराष्ट्रपति से संबंधित वर्णन भाग – 5 में किया गया है। भाग – 5 में उपराष्ट्रपति से संबंधित वर्णन अनुच्छेद 63 से 69 में किया गया है।
अनुच्छेद 63 में यह उल्लेख किया गया है कि भारत का एक राष्ट्रपति होना चाहिए। अनुच्छेद 64 में कहा गया है कि उपराष्ट्रपति राज्यसभा का सभापति होगा और वह अन्य कोई लाभ के पद नहीं होगा।
अनुच्छेद 65 में यह बताया गया है कि राष्ट्रपति की अनुपस्थिति में उपराष्ट्रपति कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप कार्य कर सकते हैं। अर्थात अगर राष्ट्रपति की मृत्यु, विदेश यात्रा, अवकाश, बीमारी या किसी अन्य कारणवश अनुपस्थित रहते हैं तो उपराष्ट्रपति कार्यकारी राष्ट्रपति के तौर पर कार्य करते हैं। राष्ट्रपति का पद अधिकतम 6 माह के लिए खाली रह सकता है।
इस दौरान राष्ट्रपति का चुनाव करा लेना जरूरी होगा। उपराष्ट्रपति, राष्ट्रपति के रूप में जब कार्य करते हैं तो उपराष्ट्रपति को सभी सुविधाएं दी जाती है जो राष्ट्रपति को मिलती है। और उपराष्ट्रपति को राष्ट्रपति के समान शक्तियां, वेतन और विशेष अधिकार प्राप्त होते हैं।
राष्ट्रपति के बाद भारत का द्वितीय उच्चतम प्रतिष्ठित पदधारी उपराष्ट्रपति होते हैं। उपराष्ट्रपति के द्वारा राज्य सभा की अध्यक्षता की जाती है। लेकिन वह राज्य सभा का सदस्य नहीं होते हैं।भारत के उपराष्ट्रपति का पद अमेरिका के उपराष्ट्रपति के समान होता है।
यदि उपराष्ट्रपति भी अनुपस्थित रहते हैं तो राष्ट्रपति के पद को सुप्रीम कोट के मुख्य न्यायाधीश संभालते हैं। अनुच्छेद 66 में उपराष्ट्रपति के पद की योग्यता और निर्वाचन प्रक्रिया का वर्णन किया गया है।
उपराष्ट्रपति के योग्यता : –
सबसे पहले भारत का नागरिक होना चाहिए। उसकी उम्र 35 वर्ष या उससे अधिक होनी चाहिए। राज्यसभा का सदस्य बनने योग्य होना चाहिए। वह भारत सरकार के अधीन किसी भी लाभ के पद पर नहीं होना चाहिए।
उपराष्ट्रपति का निर्वाचन : –
उपराष्ट्रपति का निर्वाचन अप्रत्यक्ष रूप से आनुपातिक प्रतिनिधित्व की एकल संक्रमणीय मत प्रणाली से गुप्त मतदान के द्वारा किया जाता है।
उपराष्ट्रपति का निर्वाचन निर्वाचक मंडल के द्वारा किया जाता है। यहां निर्वाचक मंडल अलग होता है। इस निर्वाचक मंडल में राज्यसभा और लोकसभा के सदस्य होते हैं। उपराष्ट्रपति के निर्वाचन में लोकसभा के सभी सदस्य और राज्यसभा के सभी सदस्य भाग लेते हैं।
उपराष्ट्रपति के निर्वाचन के लिए 20 प्रस्तावक और 20 अनुमोदक होने चाहिए। यदि जो व्यक्ति प्रस्तावक बन जाते हैं वह अनुमोदक नहीं बन सकते हैं।
उपराष्ट्रपति को जमानत राशी के रूप में 15000 रु देनी पड़ती है। यदि उम्मीदवार कुल वोट का 1/6 वोट नहीं लाता है तो उसकी जमानत राशी जप्त कर ली जाती है।
अनुच्छेद 67 में उपराष्ट्रपति के कार्यकाल के बारे में वर्णन किया गया है। उपराष्ट्रपति के कार्यकाल 5 वर्ष के लिए होता है। उपराष्ट्रपति को 5 वर्ष से पहले भी हटाया जा सकता है। लेकिन उपराष्ट्रपति को महाभियोग के द्वारा नहीं हटाया जा सकता है।
उपराष्ट्रपति को हटाने के लिए राज्यसभा में 1/4 सदस्यों का हस्ताक्षर का होना जरुरी होता है। उपराष्ट्रपति को हटाने की मंजूरी मिल जाती है तो वह फिर लोकसभा में भेजा जाता है। यदि वहां 50% से अधिक सदस्य लोग पास कर देते हैं तो फिर उपराष्ट्रपति को हटा सकते हैं
।
अगर राज्यसभा अपने तत्कालिक सदस्य संख्या से प्रस्ताव को पारित कर देता है। और उसके बाद लोकसभा की सहमति मिल जाती है तब उपराष्ट्रपति को उसके पद से हटाया जा सकता है।
उपराष्ट्रपति को हटाने के 14 दिन पहले सूचना दिया जाता है। अनुच्छेद 68 में यह उल्लेख किया गया है कि उपराष्ट्रपति का पद ज्यादा समय के लिए खाली नहीं रहना चाहिए। उसे पद को जल्द ही भरा जाना चाहिए। अनुच्छेद 69 में यह वर्णन किया गया है कि उपराष्ट्रपति को राष्ट्रपति शपथ दिलाते हैं।
अनुच्छेद 71 में यह वर्णन किया गया है कि सर्वोच्च न्यायालय ( Supreme Court ) निर्वाचन सम्बंधित विवादों का निपटारा करेगी । अनुच्छेद 97 में यह बताया गया है कि उपराष्ट्रपति को राज्यसभा के सभापति पद के लिए 4 लाख रुपये प्रतिमाह वेतन दिया जाएगा । मैं आपको बता दूँ कि उपराष्ट्रपति की कोई सैलरी नहीं होती है। उपराष्ट्रपति को सैलरी राज्यसभा के सभापति पद के लिए दी जाती है।
भारत के उपराष्ट्रपति एवं उनका कार्यकाल इस प्रकार है : –
भारत के उपराष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन और हामिद अंसारी को दो कार्यकाल के लिए भारत का उपराष्ट्रपति चुना गया था।
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के कार्यकाल 1952 से लेकर 1962 तक रहा था। इनका कार्यकाल लम्बे समय के लिए था। ये लगातार दो बार उपराष्ट्रपति के पद रहे थे। इनके बाद उपराष्ट्रपति डॉ. जाकिर हुसैन बने थे। इनका कार्यकाल 1962 से 1967 तक रहा था।
डॉ. जाकिर हुसैन जामिया मिलिया कॉलेज के प्रिंसिपल एवं शिक्षा शास्त्री थे। डॉ. जाकिर हुसैन के बाद उपराष्ट्रपति वी. वी. गिरी बने थे। इनका कार्यकाल कम समय के लिए था। क्योंकि डॉ. जाकिर हुसैन के मृत्यु पद पर रहते ही हो गई थी।
वी. वी. गिरी का कार्यकाल 1967 से 1969 तक था। वी. वी. गिरी 1947 से 1951 तक श्रीलंका में भारतीय उच्चायुक्त के पद पर थे।
इनके बाद गोपाल स्वरूप पाठक उपराष्ट्रपति बने थे। इनका कार्यकाल 1969 से 1974 तक था। गोपाल स्वरूप पाठक के बाद वी. डी. जती उपराष्ट्रपति बने थे। यह 5वें उपराष्ट्रपति बने थे। इनका कार्यकाल 1974 से 1979 तक था। छठा राष्ट्रपति के रूप में मुहम्मद हिदायतुल्ला बने थे। इनका कार्यकाल 1979 से 1984 तक पांच वर्षो के लिए था।
आर. वेंकट रमण भारत के 7वें उपराष्ट्रपति बने थे। इनका कार्यकाल 1984 से 1987 तक था। शंकरदयाल शर्मा भारत के 8वें उपराष्ट्रपति बने थे। इनका कार्यकाल 1987 से 1992 तक था।
के. आर. नारायणन भारत के 9वें उपराष्ट्रपति बने थे और इनका कार्यकाल 1992 से 1997 तक था। के. आर. नारायणन चीन के राजदूत 1976 से 1978 तक रहे।
डॉ. कृष्णकांत भारत के 10वें उपराष्ट्रपति बने थे इनका कार्यकाल 1997 से 2002 तक था। भैरो सिंह शेखावत भारत के 11वें उपराष्ट्रपति बने थे। इनका कार्यकाल 2002 से 2007 तक था।
मोहम्मद हामिद अंसारी भारत के 12वें उपराष्ट्रपति बने थे इनका कार्यकाल 2007 से 2012 तक था। जुलाई 2012 में 14 वें उपराष्ट्रपति के चुनाव हुए थे तो उस चुनाव में पुनः श्री अंसारी उपराष्ट्रपति निर्वाचित हुए।
डॉ. जाकिर हुसैन और डॉ. कृष्णकांत भारत के ऐसे दो उपराष्ट्रपति थे जिनकी मृत्यु उनके कार्यकाल के समय हो गई थी।
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निष्कर्ष – उपराष्ट्रपति के टॉपिक में उपराष्ट्रपति की योगयता, उपराष्ट्रपति निर्वाचन, उपराष्ट्रपति के वेतन, उपराष्ट्रपति के कार्यकाल और उनके शक्तियों के बारे में बताया गया है।